Location: रांची
रांची : प्लस टू शिक्षक नियुक्ति में गड़बड़ी का मामला सामने आने के बाद शिक्षा विभाग की ओर से इसकी जांच कराई गई । जांच में मामला सही पाया गया। देवघर निवासी योगेंद्र प्रसाद ने फर्जी सर्टिफिकेट के सहारे शिक्षक की नौकरी हासिल कर ली है। प्लस टू शिक्षक बहाली में योगेंद्र प्रसाद की नियुक्ति दिव्यांगकोटे से हुई है। योगेंद्र कुमार ने देवघर में डॉक्टरों की मिलीभगत से मूक बधिर होने का फर्जी प्रमाण पत्र बनवा लिया था। नियुक्ति के लिए इसी प्रमाण पत्र का सहारा लिया और दिव्यांग कोटे से उसकी नियुक्ति हो गई। 12 जुलाई को उसे नियुक्ति पत्र भी दे दिया गया है। नियुक्ति पत्र दिए जाने के बाद इस मामले का खुलासा हुआ कि योगेंद्र प्रसाद मूक बधिर नहीं है वह वह बोल व सुन सकता है। योगेंद्र कुमार के साथ बातचीत का एक ऑडियो भी वायरल हुआ था।
प्रतिपक्ष के नेता अमर बाउरी ने भी इस मामले को उठाया था। इसके बाद शिक्षा सचिव उमाशंकर सिंह ने मामले की जांच का आदेश देवघर डीसी को दिया था। देवघर डीसी ने चिकित्सकों की एक कमेटी बनाकर मामले की जांच कराई। जांच में पाया गया कि योगेंद्र प्रसाद का सर्टिफिकेट फर्जी है और वह मूक बधिर नहीं है। देवघर डीसी ने शिक्षा सचिव को अपनी रिपोर्ट भेज दी है। रिपोर्ट में पूरे मामले की चर्चा की गई है। इस रिपोर्ट से खुलासा हुआ कि योगेंद्र प्रसाद ने गलत सर्टिफिकेट से शिक्षक की नौकरी हासिल की है। सरकार अब उसके खिलाफ कार्रवाई करने की तैयारी कर रही है। जल्द उसे नौकरी से बर्खास्त कर दिया जाएगा साथ ही फर्जी सर्टिफिकेट बनवाने को लेकर भी अलग से कार्रवाई की जाएगी। फर्जी सर्टिफिकेट बनाने वाले चिकित्सकों पर भी कार्रवाई की जाएगी।