Location: रांची
रांची: झारखंड में इंडिया गठबंधन में सब कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है। सहयोगी दल एक दूसरे के फैसले से नाराज दिख रहे हैं और खुलकर अपनी नाराजगी भी व्यक्त कर रहे हैं। 3 दिन में सरकार की ओर से दो और विधानसभा अध्यक्ष की ओर से एक फैसला लिया गया। इन तीनों फसलों पर अलग-अलग दलों ने नाराजगी जाहिर की। इससे साफ झलकता है कि इंडिया गठबंधन में सब कुछ ठीक-ठाक नहीं है और आपस में बातचीत नहीं होती और राय नहीं ली जाती है।
25 जुलाई को ग्रामीण विकास विभाग की ओर से मंत्री इरफान की सहमति से राज्य के 61 प्रखंड विकास अधिकारियों का तबादला किया गया। इसी दिन शाम में विधानसभा अध्यक्ष रवींद्रनाथ महतो ने दलबदल के मामले में कार्रवाई करते हुए मांडू विधायक जेपी पटेल और बोरियो विधायक लोबिन हेंब्रम की सदस्यता समाप्त कर दी। स्पीकर के फैसले से सनसनी फैल गई। किसी को उम्मीद नहीं थी कि स्पीकर दो दिन के अंदर ही मामले की सुनवाई करेंगे और दोनों पक्षों की बात सुनकर इतनी जल्दी फैसला लेंगे। लेकिन यह सब हुआ। लोबिन हेंब्रम के चलते जेपी पटेल भी कार्रवाई की जद में आ गए।
विधानसभा सत्र को लेकर 25 जुलाई की रात में मुख्यमंत्री के आवास पर विधायकों की बैठक थी। इस बैठक में कई विधायक नहीं गए । जो शामिल हुए उन्होंने प्रखंड विकास पदाधिकारी के तबादले पर नाराजगी जताई कहा कि इसमें विधायकों की राय नहीं ली गई। विभाग ने मनमानी तरीके से तबादला किया है। कई प्रखंडों में प्रखंड विकास पदाधिकारी नहीं है वहां किसी की पोस्टिंग नहीं की गई। अंत में सरकार ने प्रखंड विकास पदाधिकारी के तबादले स्थगित कर दिए।
वहीं कांग्रेस ने विधानसभा अध्यक्ष द्वारा भाजपा छोड़ कांग्रेस में शामिल हुए मांडू विधायक जेपी पटेल की सदस्यता रद्द किए जाने पर आपत्ति जताई । कहा कि फैसला जल्दबाजी में लिया गया। विधायक को अपना पक्ष रखने का मौका तक नहीं दिया गया। राजमहल में झामुमो उम्मीदवार विजय विजय हसदा के खिलाफ चुनाव लड़ने वाले विधायक लोबिन हेंब्रम की सदस्यता रद्द की गई जबकि लोहरदगा से कांग्रेस प्रत्याशी सुखदेव भगत के खिलाफ चुनाव लड़ने वाले विधायक चमरा लिंडा के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। कार्रवाई में निष्पक्षता नहीं दिख रही है।
26 जुलाई को ही राज्य के डीजीपी अजय कुमार सिंह को हटाते हुए उनके स्थान पर अनुराग गुप्ता को प्रभारी डीजीपी बनाया गया। इस फैसले पर भी कांग्रेस ने आपत्ति जताई। कांग्रेस अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने कहा कि डीजीपी के मुद्दे पर कांग्रेस से कोई राय नहीं ली गई। इतने बड़े फैसले में भी सहयोगी दलों को दूर रखा गया। जबकि राय लेनी चाहिए थी। फिलहाल ऐसी कोई स्थिति नहीं थी कि डीजीपी को हटाया जाए। उन्होंने कहा कि सहयोगी दलों बातचीत करने के लिए समिति बनी हुई है। महत्वपूर्ण फैसले लिए जाने के पहले समिति की बैठक में निर्णय लिया जाना चाहिए।
इसे साफ जाहिर है की इंडिया गठबंधन में अंदर खाने सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। अभी विधानसभा चुनाव में सीटों के बंटवारे पर बातचीत बाकी है। सभी पार्टियों के अपने-अपने दावे हैं।