Location: रांची
जनता दल यूनाइटेड ने झारखंड में भारतीय जनता पार्टी पर दबाव की राजनीति शुरू कर दी। झारखंड में भाजपा और जदयू के बीच गठबंधन को लेकर अभी कोई बात आगे नहीं बढ़ी है। सीटों के बारे पर कोई फैसला नहीं हुआ है। लेकिन इसके पहले ही बिहार सरकार के मंत्री और झारखंड जदयू के प्रभारी अशोक चौधरी ने कल जमशेदपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में घोषणा कर दी कि विधायक सरयू राय जमशेदपुर पूर्वी से एनडीए के उम्मीदवार होंगे। इस ऐलान से यह साबित हो गया कि जदयू झारखंड में दबाव की राजनीति पर उतर आया है। जदयू केंद्र सरकार को दिए जा रहे हैं समर्थन की कीमत झारखंड में भाजपा से वसूलना चाहता है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पहल पर हाल ही में सरयू राय ने जदयू की सदस्यता ग्रहण की है। जदयू बार-बार कह रहा है कि झारखंड में हम भाजपा के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ेंगे। जदयू ने तो गठबंधन से पहले नीतीश कुमार को चुनाव लड़ने को लेकर सीटों की एक लिस्ट भी सौंप दी है। इस लिस्ट में कुछ ऐसी सीट भी हैं, जो भाजपा की सीटिंग सीट है।
झारखंड में जदयू का न कोई आधार वोट है, न कोई संगठन है। न कोई जमीन से जुड़ा कद्दावर नेता है। सब कुछ हवा हवाई है और पार्टी नीतीश कुमार के नाम पर चल रही है। हां सरयू राय के आने से पार्टी को एक मजबूत नेता जरूर मिल गया। लेकिन सरयू राय के जुड़ने से पार्टी राज्य स्तर पर मजबूत हो गई है ऐसी कोई बात नहीं है। सरयू राय भी पूरे राज्य में अकेले कोई असर डाल पाएंगे इसकी भी संभावना नहीं है।
विधायक सरयू राय के बारे में मैंने कई बार लिखा है कि वह राजनीति के चतुर खिलाड़ी हैं। चाणक्य कहे जाते हैं। वह हर फैसला नफा नुकसान के आकलन के बाद ही लेते हैं। जदयू में शामिल होना भी इसी रणनीति का हिस्सा है।
जदयू में शामिल होकर सरयू राय ने भाजपा को परेशानी में डाल दिया है। सरयू राय और भाजपा के रिश्ते जग जाहिर है। पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास और राय के रिश्ते को सभी जानते हैं। इसलिए बहुत चर्चा करने की जरूरत नहीं है। रघुवर दास के राज्यपाल बनाए जाने के बाद भी राय ने उनके खिलाफ मुहिम बंद नहीं की।
सरयू राय के जदयू में शामिल होने के बाद झारखंड के चुनाव प्रभारी व केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान और सह प्रभारी असम के मुख्यमंत्री ने राय से बात की है। लेकिन इन दोनों नेताओं ने यह भी स्पष्ट कहा है कि वह प्रदेश के नेताओं से बात कर और संबंधित सीट से पार्टी का कौन उम्मीदवार होगा, उसकी वहां क्या स्थिति है। सभी चीजों के आकलन के बाद ही कोई निर्णय लिया जाएगा।
भाजपा जदयू से तालमेल करने को इच्छुक नहीं है क्योंकि उसे पता है कि जदयू से गठबंधन का लाभ भाजपा को नहीं मिलेगा। हां जदयू को जरूर इसका लाभ मिलेगा। ऐसी स्थिति में दो-चार सीट भी जदयू को देना भाजपा के लिए भारी सौदा होगा। लेकिन अब केंद्र सरकार और बिहार सरकार में भाजपा की भागीदारी को देखते हुए ऐसा लगता है कि भाजप जदयू के जवाब में आ सकती है। दो-तीन सीट भाजपा जदयू को दे सकती है। पर अभी इस पर कोई फैसला नहीं हुआ है। इसके पहले उम्मीदवार की घोषणा करना दबाव की राजनीति ही माना जाएगा।
झारखंड बीजेपी के अधिकांश नेता जिसमें रघुवर दास के समर्थक अधिक हैं वह नहीं चाहते हैं कि सरयू राय के लिए पूर्वी जमशेदपुर की सीट छोड़ी जाए। अब यह देखना होगा कि पार्टी जब यह सीट जदयू के दबाव में सरयू राय के लिए छोड़ती है तो रघुवर दास के समर्थक क्या करते हैं। भाजपा विधानसभा चुनाव में एक-एक सीट का आकलन कर उम्मीदवार तय करेगी और गठबंधन के साथियों को देगी।
भाजपा का आजसू के साथ गठबंधन है। लेकिन अभी सीटों पर कोई फैसला नहीं हुआ है। इसके पहले ही आजसू ने जब ईचागढ़ से उम्मीदवार की घोषणा कर दी तो भाजपा ने इस पर आपत्ति जताई है। ईचागढ़ की सीट बीजेपी अपने लड़ना चाहती है। क्योंकि उसका यहां मजबूत आधार है। लोकसभा चुनाव के दौरान भी पार्टी को यहां 50000 से अधिक मतों से बढ़त मिली है।