
Location: Garhwa

गढ़वा: नरगिर आश्रम में चैत्र नवरात्र के पावन अवसर पर जारी रामकथा के तीसरे दिवस बालस्वामी प्रपन्नाचार्य ने श्रीराम जन्म के मूल कारणों पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि श्रीराम भगवान विष्णु के अवतार हैं और उनका अवतरण कई वरदानों और श्रापों का परिणाम है।
स्वामी जी ने जय-विजय की कथा सुनाते हुए बताया कि वैकुंठ के द्वारपाल जय-विजय को सनकादि मुनियों ने श्राप दिया था, जिसके कारण उन्हें तीन जन्मों तक राक्षस योनि में जन्म लेना पड़ा। पहले जन्म में वे हिरण्याक्ष और हिरण्यकशिपु बने, दूसरे जन्म में रावण और कुंभकर्ण, तथा तीसरे जन्म में शिशुपाल और दंतवक्त्र। इन सभी जन्मों में भगवान विष्णु ने विभिन्न अवतारों के रूप में उनका संहार कर उन्हें मोक्ष प्रदान किया।
बालस्वामी जी ने नारद मोह प्रसंग की व्याख्या करते हुए कहा कि अहंकार पतन का कारण बनता है। नारद मुनि को जब कामदेव पर विजय पाने का गर्व हुआ, तो भगवान विष्णु ने उनकी परीक्षा ली। नारद मुनि एक राजकुमारी के सौंदर्य पर मोहित हो गए और भगवान से हरि रूप मांगने लगे, लेकिन भगवान ने उन्हें वानर का रूप दे दिया। इससे क्रोधित होकर नारद मुनि ने विष्णु को श्राप दे दिया, जो श्रीराम के अवतरण का एक और कारण बना।
स्वामी जी ने कहा कि जीवन का उद्देश्य ईश्वर की प्राप्ति होना चाहिए। सांसारिक मोह दुःख का कारण बनता है, जबकि ईश्वर से लगाव सभी कष्टों को दूर करता है। इस अवसर पर राम जन्म की झांकी निकाली गई, जिसमें श्रद्धालु भक्ति गीतों पर झूम उठे।
कथा समिति के अध्यक्ष चंदन जायसवाल ने कथा पंडाल में उमड़ी भीड़ का उत्साहवर्धन किया और सभी श्रद्धालुओं का आभार व्यक्त किया।
कार्यक्रम को सफल बनाने में जगजीवन बघेल, दीनानाथ बघेल, जयशंकर बघेल, गुड्डू हरि, विकास ठाकुर, भरत केशरी, दिलीप पाठक, गौतम शर्मा, धर्मनाथ झा, अजय राम, गौतम चंद्रवंशी, सोनू बघेल, पवन बघेल, सुमित लाल, अजय सिंह, राकेश चंद्रा, सूरज सिंह, शांतनु केशरी, शुभम् चंद्रवंशी, सोनू, सुन्दरम् और शिवा आदि ने विशेष योगदान दिया।
