

– डॉक्टर निशांत और उनकी टीम ने जोखिमभरे ऑपरेशन को दी सफल अंजाम
गढ़वा: परमेश्वरी मेडिकल सेंटर ने शल्य चिकित्सा के क्षेत्र में एक और नया आयाम स्थापित करते हुए हैसियत अंसारी नामक मरीज की जिंदगी में नई रोशनी भर दी। यह कहानी सिर्फ एक इलाज की नहीं, बल्कि इंसानी हौसले और चिकित्सा के चमत्कार की है।
करीब 50 वर्षीय हैसियत अंसारी को अचानक अक्टूबर माह के पहले सप्ताह में पेट में तेज दर्द, उल्टी और पेट फूलने की शिकायत हुई। कई चिकित्सकों से परामर्श लेने के बावजूद जब राहत नहीं मिली, तब वे परमेश्वरी मेडिकल सेंटर के इमरजेंसी विभाग पहुंचे। डॉ. निशांत सिंह (लेप्रोस्कोपिक सर्जन) की देखरेख में जांच के बाद पता चला कि मरीज की छोटी आंत मुड़ गई है और खाना नीचे नहीं जा पा रहा है।
जांच के उपरांत तत्काल इमरजेंसी ऑपरेशन किया गया, जिसमें डॉक्टरों को पता चला कि लगभग ढाई फीट छोटी आंत गैंग्रीन हो चुकी है। मरीज की जान बचाने के लिए तत्काल सर्जरी कर खराब आंत को हटाया गया और पेट के दाहिने भाग में अस्थायी मलद्वार (ileostomy) बनाया गया। ऑपरेशन सफल रहा लेकिन मरीज को मानसिक रूप से यह स्वीकार कर पाना कठिन था कि अब मलद्वार पेट पर है।
छह महीने के पश्चात, मार्च के अंतिम सप्ताह में हैसियत अंसारी दोबारा अस्पताल पहुंचे और अपनी स्थिति को लेकर फिर से परामर्श लिया। इस बार डॉक्टर निशांत ने चुनौती स्वीकार करते हुए पुनः एक जटिल ऑपरेशन कर पेट पर बने अस्थायी मलद्वार को बंद किया और आंतों को फिर से जोड़ दिया। यह ऑपरेशन भी पूर्णतः सफल रहा।
आज हैसियत अंसारी सामान्य जीवन जी रहे हैं। इस सफलता पर उन्होंने डॉक्टर निशांत और परमेश्वरी मेडिकल सेंटर की पूरी टीम को शुभकामनाएं दीं। डॉ. निशांत ने बताया कि इस तरह के ऑपरेशन तकनीकी रूप से बेहद जटिल होते हैं, लेकिन मरीज की उम्मीद और टीम के समर्पण ने इसे संभव बनाया।
