गढ़वा सदर अस्पताल में 16 घंटे तक तड़पती रही गर्भवती, इलाज के अभाव में मौत—कब बदलेगा सिस्टम?

Location: Garhwa

गढ़वा सदर अस्पताल में एक बार फिर मानवीय संवेदनाओं को झकझोर देने वाली घटना सामने आई है। जिस चिकित्सा पेशे को ‘भगवान’ का दर्जा दिया जाता है, उसी पेशे के लोगों की अमानवीयता ने एक गर्भवती महिला की जान ले ली। 16 घंटे तक प्रसव पीड़ा से तड़पने के बाद भी उसे समय पर इलाज नहीं मिला, और अंततः उसकी मौत हो गई। इस घटना ने अस्पताल प्रशासन और वहां की कार्यसंस्कृति पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

मौत से पहले सिस्टम की बेरुखी का शिकार हुई सावित्री

मृतका सावित्री देवी (28) गढ़वा जिले के खरौंधी थाना क्षेत्र के करीवाडीह गांव की रहने वाली थी। वह आदिवासी समुदाय से ताल्लुक रखती थी, जिस समुदाय के हितैषी होने का दावा झारखंड सरकार करती है। लेकिन हकीकत यह है कि इस वंचित वर्ग की एक महिला अस्पताल में दर्द से तड़पती रही, परंतु कोई चिकित्सक उसकी सुध लेने नहीं आया।

परिजनों के अनुसार, सावित्री को बुधवार रात लगभग 11:00 बजे गढ़वा सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जांच रिपोर्ट न होने के कारण उसे जांच कराने को कहा गया, लेकिन सरकारी जांच केंद्र बंद होने के कारण रात में जांच नहीं हो सकी। सुबह जब उसकी जांच हुई, तो डॉक्टरों ने उसे पांच यूनिट रक्त बताया और 300 एम एल रक्त की आवश्यकता बताई, लेकिन ब्लड बैंक से उसे सिर्फ 100 एमएल रक्त ही दिया गया, जो कि बेहद नाकाफी था।

डॉक्टरों की गैरमौजूदगी बनी जानलेवा

रक्त चढ़ाने के बाद सावित्री की हालत और बिगड़ गई, लेकिन कोई चिकित्सक उसे देखने तक नहीं आया। ड्यूटी पर मौजूद नर्स ने रक्त चढ़ाया, लेकिन कोई विशेषज्ञ डॉक्टर मौजूद नहीं था। गायनी ओपीडी की जिम्मेदारी डॉक्टर अमिता कुमारी पर थी, लेकिन वे प्रशिक्षण में होने के कारण अस्पताल में नहीं थीं। वहीं, अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ. हरेंद्र महतो अपने कार्यालय में बैठे रहे, लेकिन उन्होंने महिला के इलाज के लिए कोई पहल नहीं की।

आखिरकार, जब स्थिति गंभीर हो गई, तो सावित्री को रेफर कर दिया गया। परिजनों ने उसे हायर सेंटर ले जाने के लिए एंबुलेंस की व्यवस्था की, लेकिन रास्ते में ही उसकी मौत हो गई।

शिकायत के बाद भी कार्रवाई पर सवाल

सावित्री के पति मिश्रा उरांव ने इस मामले में चिकित्सकों और नर्स के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए गढ़वा थाना में आवेदन दिया है। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह आवेदन उन डॉक्टरों और अस्पताल प्रशासन की जिम्मेदारी तय कर पाएगा, जिनकी लापरवाही ने एक मां और उसके अजन्मे बच्चे की जान ले ली?

कब सुधरेगा सरकारी अस्पतालों का सिस्टम?

गढ़वा सदर अस्पताल में यह पहली घटना नहीं है, जब लापरवाही के कारण किसी की जान गई हो। सवाल उठता है कि सरकार और प्रशासन कब इस सिस्टम को सुधारने की दिशा में ठोस कदम उठाएंगे? झारखंड सरकार आदिवासी समाज के उत्थान की बात तो करती है, लेकिन जब बात बुनियादी सुविधाओं की आती है, तो हकीकत कुछ और ही दिखती है।

यह घटना सिर्फ एक महिला की मौत नहीं, बल्कि पूरे सरकारी स्वास्थ्य तंत्र की विफलता की कहानी है। अगर समय रहते सुधार नहीं हुआ, तो न जाने कितनी और सावित्रियां इलाज के अभाव में दम तोड़ देंगी। क्या इस मौत का कोई जिम्मेदार होगा, या फिर यह भी फाइलों में दबी एक और अनसुनी घटना बनकर रह जाएगी?

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  • Vivekanand Upadhyay

    Location: Garhwa Vivekanand Updhyay is the Chief editor in AapKiKhabar news channel operating from Garhwa.

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