रांची: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा था कि उत्पाद सिपाही भर्ती नियमावली ही गलत है। पूर्व की भाजपा सरकार ने नियमावली तैयार की थी। इसमें हमारी सरकार की गलती नहीं है। दौड़ के दौरान जब एक दर्जन से अधिक युवाओं की मौत हुई और 300 से अधिक अभ्यर्थी बीमार पड़े तो पूरे राज्य में कोहराम मचा। भर्ती प्रक्रिया और सरकार की व्यवस्था पर सवाल उठे। मुख्यमंत्री ने तत्काल रोकने का आदेश दिया और कहा, समीक्षा के बाद आगे बहाली की प्रक्रिया शुरू होगी। मुख्यमंत्री युवाओं की मौत के लिए खराब कोरोना वैक्सीन को भी जिम्मेदार ठहरा चुके हैं। मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद यह उम्मीद जताई जा रही थी कि बहाली प्रक्रिया में सरकार बदलाव करेगी। लेकिन इसमें कोई बदलाव नहीं किया गया। कार्यक्रम में मामूली हेरफेर की गई है। पूरी प्रक्रिया पहले की तरह ही होगी। पुरुष अभ्यर्थियों को 1 घंटे में 10 किलोमीटर और महिला अभ्यर्थियों को 40 मिनट में 5 किलोमीटर की दौड़ पूरी करनी होगी। बदलाव के नाम पर सरकार ने सिर्फ पलामू का केंद्र कैंसिल कर दिया है। अब एक केंद्र पर प्रतिदिन 6000 के बदले 3000 अभ्यर्थी ही दौड़ में हिस्सा लेंगे। सुबह 9:00 बजे के पहले दौड़ खत्म हो जाएगी। मेडिकल जांच की सुविधा उपलब्ध रहेगी। अब सवाल उठता है कि जब सिपाही भर्ती नियमावली ही गलत है तो फिर सरकार ने इसी प्रक्रिया के तहत बहाली करने का फैसला क्यों लिया? जब मुख्यमंत्री खुद कह रहे हैं कि गलत है तो फिर बदलाव कैसे नहीं किया गया? अब उनसे बड़ा तो कोई है नहीं। समीक्षा के नाम पर जब बहाली प्रक्रिया स्थगित की गई तो फिर क्या समीक्षा हुई ? जब सब कुछ पूर्व की तरह है। यानी युवा 10 किलोमीटर दौड़ेंगे और फिर मौत के मुंह में जाएंगे। सरकार फिर कहेगी, बहाली प्रक्रिया चल रही थी, इसलिए बीच में बदलाव संभव नहीं था। क्या यह तर्क सबको स्वीकार होगा। जब नियमावली गलत है और इससे युवाओं की मौत हो रही है तो यह माना जाए की सरकार सिर्फ चुनावी फायदे के लिए बहाली कर रही है। मौत पर उसकी कोई चिंता नहीं है। यह सोचने का विषय भी नहीं है। मौत हो तो कह दीजिए कोरोना वैक्सीन के कारण मौत हो गई। इसमें सरकार कहां दोषी है। पड़ोसी राज्य बिहार में सिपाही भर्ती के लिए पुरुष अभ्यर्थी के लिए 1.6 कि किलोमीटर और महिला अभ्यर्थियों के लिए एक किलोमीटर की दौड़ तय है, तो फिर अपने राज्य में यह 10 और 5 किलोमीटर कैसे और क्यों ? क्या झारखंड के युवा बिहार के युवा से अलग किस्म के बने हुए हैं। सीधे-सीधे यह युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ है। सरकार अपनी जवाबदेही से बचना चाहती है। लेकिन बच नहीं पाएगी।
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