Location: रांची
रांचीः झारखंड में विधानसभा चुनाव संपन्न होने के बाद परिणाम की ब्रेसब्री से प्रतीक्षा है. शनिवार को मतों की गिनती होगी, परिणाम आएंगे. इसके बाद ही पता चलेगा कि किसके सिर पर ताज सजने वाला है. झारखंड की जनता ने क्या फैसला लिया है. परिणाम को लेकर बेचैनी है. प्रत्याशियों के साथ-साथ समर्थकों की धड़कनें बढ़ी हुई हैं. नींद उड़ गई है.
राज्य की जनता ने सत्ता की बागडोर किसको सौंपी इस पर सबकी नजर है. एनडीए व इंडिया गठबंधन के बीच कांटे की टक्कर हुई है. 15 से 18 सीटों पर नजदीकी मुकाबला है.जहां नजदीकी मुकाबला है. इन सीटों के परिणाम किसके पक्ष में आता है इस पर निर्भर करेगा कि झारखंड की सत्ता किसको मिलने वाली है. चुनाव के बाद आए एग्जिट पोल ने सत्ता के गणित को उलझा दिया है. एग्जिट पोल के नतीजे बंटे हुए हैं. अधिकांश ने एनडीए की सरकार बनने की संभावना जताई है जबिक तीन एजेंसियों ने इंडिया गठबंधन की सत्ता में वापसी की बात कही है. इधर, झारखंड के कुछ मीडिया संस्थानों की ओर से किए गए एग्जिट पोल के अनुसार एनडीए को बढ़त दिखाई गई. इसलिए झारखंड में सत्ता की तस्वीर साफ नहीं है. मामला उलझा हुआ है. परिणाम आने के बाद ही तस्वीर साफ होगी. जयराम महतो की पार्टी के प्रदर्शन पर भी नजर रहेगी.
झारखंड में पहली बार ऐसा है कि सत्ता में वापसी को लेकर इंडिया व एनडीए में दोनों में उत्साह है. दोनों को सत्ता में वापसी की उम्मीद है. इसके दो-तीन मुख्य कारण हैं. इंडिया गठबंधन को भरोसा है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने चुनाव के दो-तीन महीने पहले जनता को लुभाने के लिए जो योजनाएं शुरू की थी उसका लाभ चुनाव में मिला है. इनमें मंईयां सम्मान योजना, किसानों की कर्ज माफी, बिजली बिल माफ, दो सौ यूनिट मुफ्त बिजली आदि शामिल है. इन योजनाओं और हेमंत सोरेन के नेतृत्व में जनता ने भरोसा जताते हुए दुबारा समर्थन दिया है. सत्ता में वापसी को लेकर झामुमो सबसे अधिक उत्साहित है.
इधर, एनडीए गठबंधन को भी सत्ता आने का पूरा भरोसा है. भाजपा हेमंत सोरेन सरकार के खिलाफ एंटी इंकेंबेन्सी, पांच सालों की वादा खिलाफी, बंग्लादेशी घुसपैठ, रोजगार के सवाल पर युवाओं का आक्रोश, बालू की समस्या, भ्रष्टाचार और चुनाव घोषणा पत्र में जनता से किए गए कई वादों पर भरोसा है. भाजपा ने मंईयां सम्मान के बदले गोगो दीदी योजना, बेरोजगारी भत्ता, तीन लाख सरकारी पदों पर बहाली, 31 सौ रुपये क्विंटल धान की खरीद, एक रुपये में महिलाओं के नाम संपत्ति की रजिस्ट्री जैसी कई घोषणाएं की हैं. इन घोषणाओं पर जनता का समर्थन मिलने की उम्मीद भाजपा को है. भाजपा ने दो महीने के अंदर हेमंत सोरेन सरकार के खिलाफ आक्रामक रूख अपना था. बहरहाल परिणाम आने के बाद ही पता चलेगा कि जनता ने किसके पक्ष में फैसला दिया है.
कल्पना सोरेन बनीं स्टार प्रचार. झामुमो को मिला नया नेता
झामुमो प्रमुख शिबू सोरेन बीमार हैं. उम्र संबंधी बीमारियों से जूझ रहे हैं. पहली बार झामुमो शिबू सोरेन के बिना चुनाव में गया. शिबू सोरेन की कमी कार्यकारी अध्यक्ष व सीएम हेमंत सोरेन व उनकी विधायक पत्नी कल्पना सोरेन ने पूरी की. कल्पना सोरेन स्टार प्रचारक बनकर उभरी हैं. झामुमो को एक नया नेता मिल गया है. इस चुनाव में सबसे अधिक चर्चा कल्पना सोरेन की हुई. सबसे अधिक सुर्खियां कल्पना ने बटोरीं. उन्होंने खूब मेहनत की. धुंआधार प्रचार किया. एक सौ से अधिक सभाएं की. उनकी सभाओं में भारी भीड़ आई. उन्होंने जनता को अपनी ओर आकर्षित किया. इंडिया गठबंधन में सबसे अधिक मांग कल्पना सोरेन की रही. प्रचार के दौरान पहनावा-ओढ़ावा के साथ-साथ कई भाषाओं में उन्होंने भाषण दिया. एक परिपक्व राजनीतिज्ञ की तरह दिखीं. विरोधियों को परेशान किया.
हेमंत सोरने के जेल जाने के पहले कल्पना सोरेन घेरलू महिला थीं. घर-परिवार संभालती थी. एक स्कूल भी वह चलाती थीं. लेकिन राजनीतिक परीस्थिति बदली. कल्पना सोरेन राजनीति में आईं. गांडेय से उप चुनाव लड़ा. विधायक बनीं. यहीं से राजनीति में उनकी धमाकेदार एंट्री हो गई. अब वह स्टार प्रचार हो गई हैं. हेमंत सोरेन को कल्पना सोरेन से चुनाव प्रचार में काफी मदद मिली. कल्पना नहीं होती तो हेमंत अकेले पड़ जाते हैं. कल्पना सोरेन ने महिलाओं को काफी प्रभावित किया है. उन्होंने राजनीतिक सुझबूझ का भी परिचय दिया है. हेमंत सोरेन यदि सत्ता में वापसी करते हैं तो इसमें कल्पना की अहम भूमिका मानी जाएगी.
यदि भाजपा सत्ता में आती है तो इसका सारा श्रेय झारखंड भाजपा के चुनाव प्रभारी शिवराज सिंह चौहान व सह प्रभारी हिमंता विस्व सरमा की रणनीति व मेहनत को जाएगा. इन दोनों ने नेताओं ने भाजपा में जान डालने का काम किया है. बैकफुट से फ्रंटफुट पर ला दिया.