Location: रांची
रांची: पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने झारखंड मुक्ति मोर्चा से अपने को अलग कर लिया है। वह बार-बार कह रहे हैं कि उन्हें एक नए साथी की तलाश है। साथी ऐसा चाहिए जो उनकी राह में साथ मिलकर चले और जिस उद्देश्य से उन्होंने झारखंड मुक्ति मोर्चा को अलविदा कहा है उससे वह अपना हिसाब किताब बराबर कर अपमान का बदला ले सकें। एक हफ्ते के अंदर वह अपना राजनीतिक स्टैंड क्लियर करने की बात कह रहे हैं।
अब सवाल उठ रहा है कि उनका अगला साथी कौन होगा ? वह किसके साथ जाएंगे? झारखंड की राजनीति में प्रमुख रूप से दो ही गठबंधन है। इंडिया और एनडीए। इंडिया को वह छोड़ चुके हैं। तो ऐसे में तो विकल्प एनडीए ही दिख रहा है। एनडीए में भी भाजपा ही मजबूत है। जिस कोल्हान की राजनीति में चंपई सोरेन अपने को मजबूत करना चाहते हैं और ध्यान केंद्रित कर रहे हैं वहां तो भाजपा ही मजबूत है। झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस गठबंधन को भाजपा को छोड़ कोई चुनौती देने की स्थिति में नहीं है। झारखंड नामधारी किसी अन्य दल में इतनी ताकत नहीं है कि वह इंडिया या एनडीए को चुनौती दे सके। ऐसे में चंपई सोरेन के समक्ष भाजपा ही हमसफर की भूमिका में हो सकती है।
चंपई सोरेन यदि अपनी पुरानी पार्टी झामुमो से अपमान का बदला लेना चाहते हैं तो भाजपा के साथ चुनाव में गठबंधन कर या शामिल होकर ही ले सकते हैं। दूसरे दल के साथ जाने से बहुत लाभ की उम्मीद नहीं है। सिर्फ किरकिरी होगी। कोल्हान टाइगर के दामन पर दाग लग जाएगा।
चंपई सोरेन ने साफ कर दिया है कि वह फिलहाल कोल्हान प्रमंडल की 14 विधानसभा सीटों पर ही अपना ध्यान केंद्रित करेंगे। इसे उनकी राजनीतिक सूझबूझ कहा जा सकता है। क्योंकि वह पूरे राज्य में असर नहीं डाल पाएंगे। इसलिए उन्होंने अपनी क्षमता के अनुसार ही फैसला लिया है। यह अच्छी बात है। यदि वह पूरे राज्य की बात करेंगे तो शायद राजनीतिक हाशिये पर चले जाएंगे।
भाजपा को भी कोल्हान इलाके में एक मजबूत साथी की जरूरत है। क्योंकि पिछले विधानसभा चुनाव में पार्टी का खाता भी नहीं खुला था। ऐसे में यदि चंपई सोरेन का साथ मिल जाता है तो भाजपा की स्थिति मजबूत हो जाएगी। क्योंकि यहां भाजपा झारखंड मुक्ति मोर्चा से से बहुत कमजोर नहीं है। हर विधानसभा क्षेत्र में चंपई सोरेन की वजह से यदि 5 से 10000 वोट का लाभ मिला तो बाजी पलट सकती है।
मैंने पहले ही बताया था की चंपई सोरेन के मामले में भाजपा फूंक फूंक कर कदम रख रही है। वह झारखंड मुक्ति मोर्चा को कोई ऐसा मौका नहीं देना चाहती जिससे उसपर पार्टी तोड़ने का आरोप लगे और और अपने पुराने नेता- कार्यकर्ता नाराज हो जाएं।
संभव है भाजपा के इशारे पर ही चंपई सोरेन अपनी पार्टी बनाएंगे और चुनाव में भाजपा के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ेंगे। भाजपा उनके लिए तीन या चार सीट कोल्हान में छोड़ सकती है। ऐसे में दोनों का उद्देश्य पूरा हो जाएगा।
इतना तय है कि भाजपा के बिना चंपई सोरेन अपने अपमान का बदला नहीं ले पाएंगे अब यह देखना होगा कि वह क्या फैसला लेते हैं। लेकिन मजबूत विकल्प भाजपा ही है। वह भाजपा में सीधे शामिल भी हो सकते हैं।