
गढ़वा: झारखंड ऑफिसर्स टीचर्स एंड एम्प्लॉई फेडरेशन, जिला इकाई गढ़वा के जिलाध्यक्ष सुशील कुमार ने टीचर नीड असेसमेंट (TNA) को शिक्षकों के लिए एक सराहनीय और सकारात्मक पहल बताया है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में शिक्षकों के सतत व्यावसायिक विकास (Continuous Professional Development) को प्राथमिकता दी गई है और इस दिशा में शिक्षकों की आवश्यकताओं के अनुरूप प्रशिक्षण की योजना बनाना एक स्वागतयोग्य कदम है।
सुशील कुमार ने बताया कि झारखंड सरकार के स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग द्वारा आगामी पांच वर्षों के लिए शिक्षकों की जरूरतों के आकलन हेतु TNA परीक्षा आयोजित की जा रही है। इससे न केवल शिक्षकों की शैक्षणिक क्षमताओं का मूल्यांकन होगा, बल्कि उनके शिक्षण कौशल को भी अधिक प्रभावी बनाया जा सकेगा, जिससे छात्रों के परिणामों में भी सुधार होगा।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यदि इस परीक्षा का उद्देश्य केवल शिक्षकों की स्थानांतरण या प्रतिनियोजन से जुड़ा होगा, जैसा कि 2022 में देखा गया था, तो इसका वे विरोध करेंगे। लेकिन अगर परीक्षा का मूल उद्देश्य शिक्षकों की शैक्षणिक जरूरतों का आकलन है और इसके आधार पर किसी प्रकार की दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी, जैसा कि वर्तमान झारखंड शिक्षा परियोजना के निदेशक शशि रंजन ने कहा है, तो यह एक सकारात्मक और दूरदर्शी सोच है।
उन्होंने विभाग से यह मांग भी की कि परीक्षा से पूर्व वर्गवार सिलेबस और सैंपल प्रश्न पत्र सार्वजनिक किए जाएं ताकि शिक्षक बेहतर तैयारी कर सकें। सुशील कुमार ने कहा कि ऐसे मूल्यांकन शिक्षकों को नवाचारी शिक्षण विधियों को अपनाने और अपनी भूमिका को बेहतर ढंग से निभाने के लिए प्रेरित करेंगे।
उन्होंने यह भी जोड़ा कि आज के समय में शिक्षक छात्रों की सीखने की कमियों को दूर करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं और उन पर पाठ्यक्रम पूरा करने का दबाव भी है। ऐसे में प्रशिक्षण और आत्ममूल्यांकन जैसे प्रयास समय की मांग हैं।
