Location: Shree banshidhar nagar
श्री बंशीधर नगर
अनुमंडल मुख्यालय सहित आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में गुरुवार को महिलाओं ने अपने पति की लंबी उम्र के लिए वट सावित्री की पूजा कर पर्व को हर्षोल्लास एवं धूमधाम के साथ मनाया गया। सुहागिन महिलाएं वट सावित्री की पूजा के लिए सुबह से ही बरगद के पेड़ के नीचे पहुंचने लगी थी। जहां वट वृक्ष के नीचे बैठ विधि विधान से पूजा अर्चना की। हिंदू धर्म में सुहागिन महिलाओं के लिए वट सावित्री पूजा बेहद खास व महत्वपूर्ण माना जाता है। अमावस्या की तिथि को महिलाएं अपने पति की लंबी आयु व दीर्घायु जीवन की मंगलकामना के साथ सावित्री व्रत करती है। इस व्रत को रखने से महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इस व्रत में सबसे अधिक महत्व वट वृक्ष की होती है। वट सावित्री पूजा के अवसर पर अनुमंडल मुख्यालय के अहिपुरवा स्थित काली मंदिर, शनि देव मंदिर, भवनाथपुर मोड़ स्थित हनुमान मंदिर, हेन्हों स्थित शिव मंदिर,थाना परिसर के निकट, ऐतिहासिक राजा पहाड़ी स्थित शिव मंदिर सहित अन्य वट वृक्ष के स्थानों पर बड़ी संख्या में सुहागिन महिलाएं एकत्रित होकर पूरे विधि विधान से बरगद पेड़ की पूजा की और सत्यवान और सावित्री की कथा का श्रवण भी किया। पूजा के दौरान महिलाओं ने वट वृक्ष की सात बार परिक्रमा कर धागा बांधकर सात जन्मों तक पति के साथ का आशीर्वाद मांगा। साथ ही घर परिवार के सुख समृद्धि की कामना की।
राजा पहाड़ी में उमड़ी हजारों महिलाओं की भीड़
वट सावित्री पूजा को लेकर महिलाओं के बीच काफी उत्साह देखने को मिला। खासकर राजा पहाड़ी स्थित शिव मंदिर परिसर में हजारों की संख्या में महिलाओं ने वट सावित्री की पूजा की। जहां मंदिर के पुजारी रामचंद्र पाठक व उनके पुत्र गोविंद पाठक ने संयुक्त रूप से वैदिक मंत्रोच्चार के साथ विधिवत पूजा अर्चना कराकर सत्यवान का कथा सुनाया। राजा पहाड़ी मंदिर कमेटी की ओर से महिलाओं के लिए टेंट,पानी व बैठने की मुक्कलम व्यवस्था कराई गई थी। सावित्री पूजा करने के बाद घर आकर महिलाओं ने पति के पर पाखरे, शरबत पानी दिया और बांस से बने पंखे झेले।
क्यों करते हैं बरगद पेड़ की पूजा
राजा पहाड़ी मंदिर के मुख्य पुजारी गोविंद पाठक ने वट सावित्री पूजा के महत्वता के बारे में बताते हुए कहा कि जब यमराज ने सावित्री के पति सत्यवान के प्राण हर लिए, तो सावित्री ने उनके मृत्यु शरीर को बरगद के पेड़ के नीचे लिटाया और यमराज के पीछे-पीछे चल दी। जब यमराज ने उन्हें लौटने के लिए कहा तो सावित्री ने उनसे पति धर्म और मर्यादा को निभाने की बात कही और लगातार पीछे चलती रही। माना जाता है कि वट वृक्ष के नीचे सावित्री ने अपने पति के प्रभाव से मृत्यु पड़े सत्यवान को पुनः जीवित किया था। धार्मिक मान्यता के अनुसार बरगद के पेड़ में त्रिदेव यानी ब्रह्मा विष्णु एवं महेश का वास होता है इस पेड़ की पूजा करने से जीवन में सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है क्योंकि बरगद के पेड़ की आयु बहुत लंबी होती है। इसलिए इसे अक्षय वृक्ष भी कहा जाता है।
पति के लंबी आयु के लिए महिलाएं करती है वट सावित्री व्रत
महिलाएं मीना देवी, अनीता देवी, आरती अग्रवाल ने बताया कि ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या के दिन माता सावित्री ने यह व्रत किया था। तभी से यह परंपरा चली आ रही है। हम सभी ने अपने सुहाग के लंबी आयु की कामना के लिए यह व्रत करते हैं। महिलाओं ने कहा की सावित्री माता की तरह ही शिव जी के स्वरूप वट की पूजा की। सात फेरे लेकर अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद मांगा। बताया कि कुछ महिलाएं पूरे दिन व्रत रखती है कुछ पूजा के समय तक अन्न जल ग्रहण नहीं करती है।