
Location: Garhwa

गढ़वा: गढ़देवी मोहल्ला स्थित नरगिर आश्रम में चल रही सात दिवसीय रामकथा का समापन श्रद्धा, भक्ति और उत्साह के साथ हुआ। अंतिम दिन की कथा में श्रद्धालुओं की अपार भीड़ उमड़ पड़ी। अयोध्या से पधारे पूज्य बालस्वामी प्रपन्नाचार्य जी महाराज ने रामायण के विविध प्रसंगों को भावपूर्ण शैली में प्रस्तुत किया।
कथा के दौरान उन्होंने रावण वध, राम राज्याभिषेक, वनगमन, चित्रकूट प्रवास, अगस्त्य मुनि की कथा, अनुसूया और शबरी संवाद जैसे प्रसंगों की मार्मिक व्याख्या की। उन्होंने बताया कि श्रीराम ने चित्रकूट में 11 वर्षों तक सीता और लक्ष्मण संग घास-फूस की पर्णकुटी में जीवन व्यतीत किया। रामायण में वर्णित शरभंग मुनि की तपस्या, अगस्त्य मुनि द्वारा दिव्य अस्त्र-शस्त्र प्रदान करना और अनुसूया द्वारा सीता को दिए गए पतिव्रता धर्म के उपदेश का भी भावगर्भित चित्रण किया गया।
शबरी और श्रीराम का मिलन, नवधा भक्ति की शिक्षा तथा उनके प्रति शबरी की अटूट श्रद्धा ने कथा को अत्यंत भावुक बना दिया। अंत में राम द्वारा वानर सेना की सहायता से रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण का वध कर धर्म की स्थापना की कथा प्रस्तुत की गई।
इस अवसर पर पूर्व मंत्री श्री मिथिलेश ठाकुर का आगमन हुआ, जिन्हें आयोजकों द्वारा रामनामी पट्टा ओढ़ाकर सम्मानित किया गया। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि “रामायण केवल धार्मिक ग्रंथ नहीं, अपितु जीवन जीने की कला है, जो हमें धर्म, सत्य, कर्तव्य और त्याग की शिक्षा देती है।” उन्होंने सभी से राम के आदर्शों को जीवन में उतारने और रामराज्य की संकल्पना को साकार करने का आह्वान किया।
रामकथा के अंतिम चरण में रामराज्याभिषेक का भव्य मंचन पूर्व मंत्री श्री मिथिलेश ठाकुर के करकमलों से किया गया, जिससे श्रद्धालुओं के बीच उल्लास और भक्ति की लहर दौड़ गई।
कार्यक्रम के समापन पर अध्यक्ष चन्दन जायसवाल ने सभी सहयोगियों का आभार जताया और अगले वर्ष पुनः रामकथा आयोजन की घोषणा की। इस आयोजन को सफल बनाने में जगजीवन बघेल, दीनानाथ बघेल, जयशंकर बघेल, गुड्डू हरि, विकास ठाकुर, भरत केशरी, गौतम शर्मा, धर्मनाथ झा, दिलीप पाठक, राजन पाण्डेय, अमित पाठक, ऋतिक केसरी ,अजय राम, गौतम चंद्रवंशी, सोनू बघेल, पवन बघेल, सुमित लाल, अजय सिंह, राकेश चंद्रा, सूरज सिंह, शांतनु केशरी, शुभम् चंद्रवंशी, सोनू, सुन्दरम्, शिवा सहित कई लोगों का सराहनीय योगदान रहा।
