Location: Garhwa
गढ़वा के सदर अस्पताल में चिकित्सकों की मनमानी ने स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति बदहाल कर दी है। सिविल सर्जन और जिला प्रशासन के प्रयासों के बावजूद समस्या जस की तस बनी हुई है। मंगलवार को सर्जरी, हड्डी रोग, गायनी, नेत्र रोग और शिशु रोग ओपीडी में चिकित्सक नदारद रहे, जिससे मरीज और उनके स्वजन घंटों परेशान रहे।
चिकित्सक ओपीडी से गायब
सुबह 9 बजे शुरू होने वाली ओपीडी लगभग 10 बजे शुरू हुई, लेकिन कई विभागों में चिकित्सक अनुपस्थित रहे।
सर्जरी एवं हड्डी रोग: डॉ. नौशाद आलम दोपहर 12 बजे के बाद ओपीडी छोड़कर चले गए।
गायनी: डॉ. पुनम कुमारी की ड्यूटी थी, लेकिन वह उपस्थित नहीं थीं।
नेत्र रोग: डॉ. राहुल कुमार प्रशिक्षण के लिए बाहर हैं।
शिशु रोग: डॉ. भाष्कर भी ओपीडी से गायब रहे।
मरीजों के स्वजनों ने शिकायत करने के लिए उपाधीक्षक डॉ. हरेनचंद्र महतो के कार्यालय का रुख किया, लेकिन वे भी कार्यालय में मौजूद नहीं थे।
मरीजों की परेशानी
रेहला से आए श्रेयांश: गंभीर हालत में आए 2 वर्षीय बच्चे को शिशु रोग विशेषज्ञ के अभाव में मेडिसिन ओपीडी में दिखाना पड़ा।
सोनदाग की तैरून बीबी: चोट का एक्सरे और रिपोर्ट दिखाने के लिए घंटों इंतजार करती रहीं।
आयुष कुमार: छत से गिरने के बाद सर्जरी ओपीडी में चिकित्सक के इंतजार में परिवार परेशान रहा।
प्रबंधन की सफाई
सदर अस्पताल के मैनेजर एसएम त्रिपाठी ने कहा, “मैं फिलहाल गढ़वा में नहीं हूं। मामले की जानकारी लेकर ही कुछ कह पाऊंगा।”
प्रशासन की उदासीनता
गायनी और नेत्र रोग के चिकित्सक प्रशिक्षण पर हैं, लेकिन उनकी जगह किसी अन्य डॉक्टर को ओपीडी की जिम्मेदारी नहीं दी गई है। मरीजों की समस्याओं को देखते हुए प्रशासन का यह रवैया गंभीर सवाल खड़े करता है।
निष्कर्ष:
गढ़वा के सदर अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति दयनीय है। मरीजों को राहत देने के लिए चिकित्सकों की उपस्थिति सुनिश्चित करने और प्रबंधन में सुधार की सख्त जरूरत है।