विश्वकर्मा पूजा के अवसर पर विश्वकर्मा समाज की ओर से भक्ति जागरण कार्यक्रम का आयोजन गौरा टीकर कल्याणपुर में किया गया। कार्यक्रम उद्घाटन समाज के बुजुर्ग शिवशंकर विश्वकर्मा, प्रदेश उपाध्यक्ष सुरेंद्र विश्वकर्मा,जिलाध्यक्ष आनंद विश्वकर्मा ने संयुक्त रूप से दीप जलाकर एवं रिबन जोड़कर उद्घाटन किया। इस मौके पर सुरेंद्र विश्वकर्मा ने कहा कि हम मेें से जिन्हें सर्वेत्म शिक्षा व सर्वोत्म मांसीक शक्तियां मिली हैं उनपर समाज के प्रति उतनी ही जिम्मेदारी भी है। हम उस मानसिक पूंजीपति को योग समझेगें तो समाज के पैसों से उच्ची शिक्षा प्राप्त कर उसे शुद्व स्वाथ्य साधन में लगाता है। समाज से नीजी लाभ उठाना ऐसा साहित्यकार कभी भी पसंद नहीं करेंगा। उस मानसिक पूंजूपति का क्रर्तव्य है समाज के लिए अपने निजी लाभ से अधिक ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि अपनी विद्या एवं योग्ता से समाज को अधिक से अधिक लाभ पहुंचाने की कोशिश करें। अगर हम अंतराष्टीय साहित्यकार सम्मेलनों की रिपोर्ट पढ़े तो हम देखेंगे की ऐसा कोई साहित्य, सामाजिक एवं ऐतिहासिक और मनोवैज्ञानिक प्रश्न नहीं है। जिस पर उनमें विचार विनिमय न होता हो इसके विरोध हम अपनी ज्ञान सीमा को देखते है तो हमे अपने- आप अज्ञानता पर लज्जा आती है। हमने समझ रखा है कि साहित्य रचना के लिए आशुबुद्वि और तेज कलम काफी है। पर यह विचार हमारी साहित्य औवनती का कारण है। हमें अपने साहित्य का मानदंड उच्चा करना होगा जिसमें वह समाज का अधिक मूल्यवान सेवा कर सकें। समाज में वह पद मिले जिसका वह अधिकार रखता है। जीवन के प्रत्येक विभाग की अलोचना और विवेचना कर सके। हमें अपने रूची औ प्रवृति के अनुकल विषय चुन लेने चाहिए और विषय पर पूर्ण अधिकार प्राप्त करनी चाहिए। हम जिस अवस्था में जिंदगी बिता रहे हैं उसमें यह काम कठिन अवश्य है पर हमारा आदर्श उंचा रहना चाहिए। हम पहाड़ की चोटी तक न पहुंच सकेगें तो कमर तक तो पहुंच ही जाएंगें जो जमीन पर पड़े रहने से अच्छा है। उन्होंने कहा कि गढ़वा जिला में दो करोड़ रूपये की लागत से सभी के सहयोग को अपनाते हुए आदी देव श्री विश्वकर्मा भगवान जी का मंदिर निर्माण किया जाएगा। इस मौके पर वाराणसी से आएं कलाकार उजाला विश्वकर्मा, यूपी बलिया से इंदू लता, रंजीत यादव द्वारा एक से बढ़कर एक भक्ति जागरण कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया। इस मौके पर कमिटी अध्यक्ष प्रदीप विश्वकर्मा, उपाध्यक्ष अशोक विश्वकर्मा, पारशनाथ विश्वकर्मा, आशुतोष शर्मा, विकास विश्वकर्मा, सुनील विश्वकर्मा, रघुवीर विश्वकर्मा, बिरबल विश्वकर्मा, राजमणी विश्वकर्मा, अजीत कुमार शर्मा, बलि विश्वकर्मा, राममिलन विश्वकर्मा, विशाल विश्वकर्मा, रामजन्म विश्वकर्मा, शिवशंकर प्रताप देव, उमेश विश्वकर्मा आदि लोग उपस्थित थे।