Location: Garhwa
गढ़वा जिले के भवनाथपुर विधानसभा क्षेत्र में इस बार की राजनीति पहले से कहीं अधिक तनावपूर्ण और आरोप-प्रत्यारोपों से भरी हुई नजर आ रही है। भाजपा विधायक भानु प्रताप शाही और झामुमो नेता अनंत प्रताप देव के बीच का टकराव इतनी तीव्रता से बढ़ रहा है कि दोनों नेताओं के बीच की बयानबाजी मर्यादाओं को पार कर रही है। राजनीति में आमतौर पर उपयोग न किए जाने वाले अपशब्दों का प्रयोग, जैसे “नक्सली” और “चोर,” यह संकेत देता है कि चुनावी जंग बेहद व्यक्तिगत होती जा रही है।
2014 और 2019 के चुनाव में पराजय के बाद, अनंत प्रताप देव इस बार भवनाथपुर विधानसभा क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं। उनका 2009 के बाद से लगातार चुनाव हारते आना उनकी राजनीतिक स्थिति को कमजोर करता दिख रहा था, लेकिन अब उन्होंने झारखंड मुक्ति मोर्चा का दामन थामकर चुनावी मैदान में उतरने का फैसला लिया है। नगर ऊंटरी राज परिवार से संबंधित होने के कारण उनकी क्षेत्र में अच्छी पहचान है, और वे पहले भी इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व विधायक के रूप में कर चुके हैं। अब उनकी पूरी कोशिश है कि इस बार वे अपनी हार को जीत में बदल सकें और अपने राजनीतिक भविष्य को मजबूत कर सकें।
उनकी आक्रामक रणनीति और भानु प्रताप शाही के खिलाफ कड़े शब्दों का प्रयोग उनकी चुनावी मानसिकता को दर्शाता है। अनंत प्रताप देव की ओर से “नक्सली” और “चोर” जैसे शब्दों का प्रयोग इस बात का संकेत है कि वे भानु प्रताप शाही की छवि को नुकसान पहुंचाने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे।
वहीं, भानु प्रताप शाही भी अपनी आक्रामक शैली के लिए जाने जाते हैं। वे अनंत प्रताप देव के आरोपों का तगड़ा जवाब दे रहे हैं और किसी भी हाल में अपनी सीट को बनाए रखने के लिए तैयार हैं। भानु प्रताप शाही का इस क्षेत्र में मजबूत जनाधार है, और उनकी राजनीतिक पकड़ को चुनौती देना आसान नहीं होगा। शाही का तीखा अंदाज और आक्रामक भाषा दर्शाती है कि इस बार चुनावी मुकाबला बेहद व्यक्तिगत हो चुका है।
भवनाथपुर विधानसभा क्षेत्र की राजनीति इस बार गहरे व्यक्तिगत हमलों और कटु बयानबाजी की दिशा में जा रही है। भानु प्रताप शाही और अनंत प्रताप देव के बीच यह संघर्ष आने वाले समय में और भी तीव्र होने की संभावना है। चुनावी लड़ाई न केवल राजनीतिक मुद्दों पर बल्कि व्यक्तिगत आरोपों और आक्रामक भाषा के इस्तेमाल पर केंद्रित होती जा रही है, जिससे यह क्षेत्रीय चुनाव एक महत्वपूर्ण राजनीतिक जंग में तब्दील हो सकता है।