Location: रांची
रांची: दूसरे चरण के लिए नामांकन की प्रक्रिया भी अंतिम चरण में है। 3-4 दिन रह गए हैं। लेकिन भाजपा और आजसू के बीच टुंडी सीट का विवाद नहीं सुलझा है। दरअसल इस सीट से सुदेश महतो खुद चुनाव लड़ना चाहते हैं इसलिए मामला उलझा हुआ है। सुदेश महतो भी उधेड़बुन में हैं। वह समझ नहीं पा रहे हैं कि क्या करें टुंडी से लड़े या न लड़े? सिल्ली और टुंडी में 20 नवंबर को मतदान होना। दोनों सीट पर एक ही दिन मतदान होने के कारण सुदेश महतो उलझ गए हैं। आखिर वह एक साथ दोनों जगहों पर कैसे प्रचार करेंगे। कहां दौड़ेंगे, कहां रहेंगे। समय भी बहुत कम रह गया है, इसलिए वह निर्णय नहीं ले पा रहे हैं।
टुंडी के राजनीतिक और सामाजिक समीकरण की जानकारी वह विभिन्न स्रोतों से ले रहे हैं। कई स्तरों पर रायशुमारी करा रहे हैं। उनके कुछ निकट के रिश्तेदार भी पिछले कुछ दिनों से टुंडी के इलाकों में घूम रहे हैं और यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि यदि सुदेश महतो यहां से चुनाव लड़ेंगे तो क्या होगा। यानी हर तरफ से फीडबैक लिया जा रहा है। भाजपा के दावेदारों से भी सुदेश महतो की लगातार बातचीत हो रही है। उनसे भी वह समर्थन मांग रहे हैं। फीडबैक सही मिलने के बाद ही वह निर्णय लेंगे।
सुदेश महतो के सामने सबसे बड़ी समस्या दोनों सीटों पर दूसरे चरण में 20 तारीख को मतदान को लेकर है। अगर अलग-अलग तिथि पर वोटिंग होती तो सुदेश को सुविधा होती। वह दोनों जगहों पर चुनाव प्रचार ठीक से कर पाते। उनके लिए आगे कुआं पीछे खाई वाली स्थिति है। टुंडी के चक्कर में कहीं सिल्ली भी हाथ से न निकल जाए। यदि यहां समय कम देंगे तो इसका असर पड़ेगा। क्योंकि यहां झामुमो ने अमित महतो को और जयराम महतो की पार्टी ने देवेंद्र महतो को मैदान में उतार दिया है। यहां लड़ाई कुर्मी प्रत्याशियों के बीच ही होने वाली है। टुंडी में झामुमो के मजबूत उम्मीदवार मथुरा महतो हैं। यहां सुदेश अगर जाते हैं तो मुकाबला झामुमो के मथुरा महतो से होगा। जयराम महतो की पार्टी ने मोतीलाल महतो को उम्मीदवार बनाया है। यानी यहां भी कुर्मियों के बीच की टक्कर होगी।
इस बार वह सिर्फ सिल्ली के भरोसे नहीं रहना चाहते हैं। यहां बहुत सुरक्षित नहीं मान रहे हैं। इसलिए दो जगह से चुनाव लड़ना चाहते हैं।
इधर भाजपा आसानी से टुंडी सीट छोड़ने को तैयार नहीं है। उसने पहले ही आजसू को 10 सीट दे दी है। अब एक सीट और देने को तैयार नहीं है। भाजपा भी सुदेश महतो के दबाव के कारण निर्णय ने नहीं ले पा रही है। प्रदेश के नेता टुंडी छोड़ने को तैयार नहीं हैं। विवाद बढ़ता देख सुदेश महतो ने अमित शाह से मुलाकात कर अपनी भावना से उन्हें अवगत करा दिया है। संभव है अगले कुछ घंटे में टुंडी पर फैसला हो जाएगा। डुमरी पर सुदेश महतो ने अब तक फैसला नहीं दिया किसी को उम्मीदवार नहीं बनाया।