रांची: झारखंड विधानसभा चुनाव को लेकर बिगुल बज गया. मैदान-ए-जंग में उतरने को लेकर राजनीतिक दलों की सेना तैयार है. तैयारी दोनों तरफ से जबरदस्त है. चुनाव में एनडीए और इंडिया गठबंधन के बीच कांटे की टक्कर होगी. बाजी किसके हाथ लगेगी यह कहना अभी जल्दबाजी होगी. क्योंकि फिलहाल प्रदेश की जो राजनीतिक स्थिति और समीकरण है उसके अनुसार तराजू का पलड़ा बराबरी पर है. जब मतदान की तारीख नजदीक आएगी तब पता चलेगा की तराजू का पलड़ा किधर झुक रहा है. चुनावी जंग में जयराम महतो की पार्टी झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा की उपस्थिति भी दिखेगी. कुरमी बहुल विधानसभा क्षेत्रों में जयराम महतो फैक्टर बनेंगे और दोनों गठबंधनों को नुकसान पहुंचा सकते है. 2019 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी सत्ता से बाहर हो गई थी. झामुमो, कांग्रेस और राजद गठबंधन को पूर्ण बहुमत मिला था. चुनाव में झामुमो और कांग्रेस ने शानदार प्रदर्शन किया था. झामुमो को 30 कांग्रेस को 16 और राजद को एक सीट मिली थी. यानी इस गठबंधन को चुनाव में 47 सीटें मिलीं थी. जो बहुमत से अधिक था. 81 विधानसभा क्षेत्र वाले झारखंड विधानसभा में बहुमत के लिए 41 सीट की जरूरत होती है. इस गठबंधन ने 47 सीट जीतकर सबको चौंका दिया था. भाजपा की उम्मीदों पर गठबंधन ने पानी फेर दिया था. भाजपा की हार का कारण आजसू के साथ गठबंधन नहीं होना था. कई सीटों पर भाजपा का वोट काटकर आजसू ने सत्ता से बाहर कर दिया था. पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा को 25, झारखंड विकास मोर्चा को तीन, आजसू को 2, एक सीट माले और एक सीट निर्दलीयों को मिली थी. माले विधायक विनोद सिंह पिछले 5 वर्षों तक गठबंधन सरकार को समर्थन देते रहे. इस बार माले भी इंडिया गठबंधन में शामिल है. लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंंधन को पांच सीटें मिलीं थी. इससे भी इनका हौसला बढ़ा हुआ है. इस बार राजनीतिक स्थिति बदली हुई है. भाजपा ने हार से सबक लेते हुए आजसू, जदयू और लोजपा से गठबंधन किया है. एनडीए इस बार के चुनाव में मजबूती के साथ मैदान में जा रहा है. भाजपा की रणनीति आक्रामक है. भाजपा के साथ झामुमो के कई कद्दावर नेता भी जुड़ चुके हैं. इनमें चंपाई सोरेन, शिबू सोरेन परिवार की बड़ी बहू सीता सोरेन, संथाल परगना इलाके के चर्चित चेहरा और झामुमो के कद्दावर नेता लोबिन हेंब्रम आदि शामिल है. चुनाव से पहले इस बार जेएमएम में बड़ी फूट हो गई है. भाजपा ने बरकट्ठा से निर्दलीय विधायक अमित यादव और हुसैनाबाद से एनसीपी के एकमात्र विधायक कमलेश सिंह को भी अपनी पार्टी में शामिल कर लिया है. हाल के दिनों में अपने-अपने इलाके में प्रभाव रखने वाले विभिन्न जातियों के नेता भी भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए हैं. भाजपा को इस बार उम्मीद है कि वह अपनी रणनीति के कारण सत्ता में वापसी करेगी. केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान और असम के मुख्यमंत्री हिमंता विश्व सरमा के चुनाव प्रभारी बनाए जाने के बाद राज्य का राजनीतिक परिदृश्य बदला है, हिमंता ने भाजपा में जान डाल दी है. उन्होंने कार्यकर्ताओं में उत्साह का संचार किया और कई लोगों को भाजपा से जोड़ा है. इसका लाभ मिलने की उम्मीद है. एक-एक सीट का हिसाब किताब उन्होंने लगाकर रणनीति पर काम किया है. हरियाणा चुनाव परिणाम के बाद झारखंड में हो रहे चुनाव से भाजपा उत्साहित है. इधर इंडिया गठबंधन को भी कमजोर नहीं माना जा सकता है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पिछले दो-तीन महीने में इतनी घोषणाएं की है. और काम किया है कि इससे इंडिया खेमा उत्साहित है. हेमंत सोरेन अपने काम के बाद चुनावी रण में जा रहे हैं. इस चुनाव में इंडिया गठबंधन की ओर से हेमंत सोरेन और उनकी विधायक पत्नी कल्पना सोरेन ही मुख्य चेहरा होंगी. यही दोनों गठबंधन को लीड करेंगे. झारखंड मुक्ति मोर्चा के लिए यह पहला चुनाव होगा जब अस्वस्थता व उम्र संबंधी बीमारी की वजह से झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन चुनाव प्रचार नहीं कर पाएंगे. पार्टी उनके बिना चुनाव लड़ेगी. संथाल परगना इलाके में आज भी शिबू सोरेन को ही लोग नेता मानते हैं. और उन्हीं के कहने पर झामुमो को वोट देते रहे हैं. उनकी कमी झामुमो को खलेगी. इंडिया गठबंधन को मंईयां सम्मान योजना से बड़ी उम्मीद है. गठबंधन इस योजना को गेम चेंजर योजना मानकर चल रहा है. भाजपा ने जब मंईयां सम्मान योजना के जवाब में गोगो दीदी योजना लाने की घोषणा की और इसके तहत ₹2100 हर महीने महिलाओं को देने की बात कही तो हेमंत सोरेन ने 1000 से बढ़ाकर ₹2500 हर महीने देने की घोषणा कर दी.इस चुनाव में मंईयां सम्मान योजना और गोगो दीदी योजना चुनावी मुद्दा होंगे. अब देखना है की किसकी योजना पर महिलाओं की मुहर लगती है. मंईयां सम्मान योजना की दो-तीन किस्त की राशि ₹1000 प्रति माह मिल चुकी है. एनडीए गठबंधन हेमंत सरकार पर वादा खिलाफी का आरोप लगाकर मैदान में उतरने वाली है. उसे उम्मीद है कि एंटी इनकंबेंसी का लाभ भी उसे मिलेगा. इधर इंडिया अपने काम की बदौलत चुनाव मैदान में जा रहा है. इसलिए दोनों गठबंधनों के बीच कांटे की टक्कर तय है. बाजी किधर पलटेगी अभी कुछ कहा नहीं जा सकता. इस चुनाव में उम्मीदवारों की सूची पर भी सबकी नजर रहेगी. भाजपा ने यदि सही उम्मीदवारों को टिकट दिया तो बाजी पलट सकती है. क्योंकि पिछले चुनाव में टिकटों के बंटवारे में भी काफी गड़बड़ी हुई थी. इसका असर भी चुनाव परिणाम पर पड़ा था. इधर इंडिया गठबंधन के सामने भी सही उम्मीदवारों को मैदान में उतारने की चुनौती है. इस चुनाव में दोनों गठबंधन अपनी पूरी ताकत लगा देंगे. झारखंड की सियासत और परिणाम पर देशभर की नजर रहेगी.