मंत्रिमंडल में शामिल होने को लेकर कांग्रेस में घमासान, पलामू प्रमंडल से अनंत प्रताप देव का नाम आगे

Location: रांची

रांची : हेमंत सोरेन गुरुवार को चौथी बार मुख्यमंत्री बनें. मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते ही उन्होंने कामकाज शुरू कर दिया. कैबिनेट की पहली बैठक में कई फैसले लिए गए. हेमंत सोरेन ने कहा है कि दो-तीन दिनों के अंदर मंत्रिमंडल का विस्तार होगा. मुख्यमंत्री के बयान के बाद एक बार फिर मंत्रिमंडल में शामिल होने वाले संभावित मंत्रियों के नाम की चर्चा तेज हो गई है. सबकी नजरें मंत्रिमंडल गठन पर टिकीं हैं. सबसे अधिक खींचतान व घमासान कांग्रेस में हैं. कांग्रेस की वजह से ही हेमंत सोरेन ने अकेले शपथ ली. क्योंकि कांग्रेस अपने कोटे के चार मंत्रियों का नाम तय नहीं कर सकी. हेमंत सोरेन से कांग्रेस ने अकेले शपथ लेने को कहा और मंत्रियों के नाम के लिए समय की मांग की.

कांग्रेस से डा. रामेश्वर उरांव व दीपिका पांडेय का नाम लगभग तय है. दो अन्य नामों पर मंथन चल रहा है. जेल में बंद पूर्व मंत्री आलमगीर आलम की पत्नी निशत आलम की दावेदारी से मामला उलझ गया है. इरफान अंसारी व निशत आलम में से कोई एक ही मंत्री बनेगा. आलमगीर आलम की आलाकमान से नजीदीकी है. वफादार व मददगार भी रहे हैं. जेल जाने से पहले तक सबकुछ मैनेज करते थे. पार्टी इनपर भरोसा करती थी. रांची से दिल्ली तक की जिम्मेदारी संभालते थे. इसलिए उनकी पत्नी की दावेदारी मजबूत मानी जा रही है. आलमगीर आलम के जेल जाने के बाद ही इरफान अंसारी को अल्पसंख्यक कोटे से मंत्री बनाया गया था. अपने बयानों को लेकर अंसारी हमेशा विवादों में रहते हैं. सरकार को असहज स्थिति में डाल देते हैं. कांग्रेस का एक बड़ा खेमा भी अंसारी का विरोध कर रहा है. निशत आलम व इरफान अंसारी के बीच पार्टी फंस गई है. महिला कोटे से दीपिका पांडेय का नाम है, ऐसे में निशत आलम को परेशानी हो रही है. महिला कोटे से कोई एक ही मंत्री बनेगा. यदि निशत आलन का नाम तय हुआ तो फिर दीपिका पांडेय का पत्ता साफ हो जाएगा.

इधर, कांग्रेस में आदिवासी कोटे से कई विधायकों के नाम की चर्चा है. बंधु तिर्की अपनी बेटी नेहा शिल्पी तिर्की के लिए लगे हुए हैं. लेकिन कांग्रेस आलाकमान किसी नए नाम पर विवाद से बचने के लिए डा. रामेश्वर उरांव के नाम पर समहत है. हेमंत सोरेन की सरकार ने चुनाव से पहले मंईयां सम्मान योजना की राशि 2500 सौ करने सहित मुफ्त की कई योजनाओं की घोषणा की है. इन घोषणाओं को पूरा करने में वित्त विभाग की महत्वपूर्ण भूमिका होगी. डा. उरांव पांच साल से वित्त विभाग संभाल रहे हैं, अनुभवी नेता हैं, इसलिए उनको इस विभाग की अच्छी समझ हो गई है. ऐसी स्थिति में उनका नाम कटना संभव नहीं है.

बन्ना गुप्ता हार गए हैं. इसलिए ओबीसी चेहरा में प्रदीप यादव की दावेदारी मजबूत है. प्रदीप यादव सीनियर विधायक हैं. पहले भी मंत्री रह चुके हैं. एक अन्य प्रबल दावेदार बेरमो विधायक अनूप सिंह हैं. अनूप सिंह की भी अच्छी पकड़ है. लेकिन यदि प्रदीप यादव का नाम बढ़ा तो फिर अनूप सिंह का नाम कट जाएगा. महिला कोटे से निशत आलम शामिल हुईं और दीपिका का नाम कटा तो अनूप सिंह की दावेदारी मजबूत हो जाएगी. वैसे फिलहाल प्रदीप यादव की दावेदारी मजबूत है.

राजद कोटे से एक मंत्री बनेगा. राजद से हुसैनाबाद विधायक संजय सिंह यादव व गोड्डा से विधायक संजय यादव व देवघर विधायक सुरेश पासवान दावेदार हैं. जातीय समीकरण के अनुसार सुरेश पासवान का पलड़ा भारी है. सुरेश पासवान दलित समाज से हैं, पहले मंत्री रह चुके हैं. अगले साल बिहार में विधानसभा का चुनाव है. देवघर का इलाका बिहार से सटा हुआ है. बिहार में पासवान जाति केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान के साथ है. ऐसी स्थिति में पासवान जाति को प्रभावित करने के लिए लालू यादव व तेजस्वी यादव सुरेश पासवान को मंत्री बना सकते हैं. सुरेश पासवान के मंत्री बनने से हेमंत कैबिनेट में दलित समाज का कोटा भी पूरा हो जाएगा. दोनों संजय मंत्री बनने चाहते हैं. सुरेश पासवान मंत्री बनते हैं तो दो यादवों की लड़ाई भी थम जाएगी. राजद का समीकरण सुरेश पासवान के साथ है.

इधर, झामुमो कोटे के मंत्रियों का नाम हेमंत सोरेन को तय करना है. वह जिसे चाहेंगे वही मंत्री होगा. यहां भी कई दावेदार हैं. पलामू प्रमंडल में झामुमो कोटे से भवनाथपुर विधायक अनंत प्रताप देव का नाम चल रहा है. क्योंकि प्रमंडल से झामुमो के देव एकमात्र विधायक हैं. अनंत प्रताप देव को मंत्रिमंडल में शामिल करने से क्षेत्रीय के साथ जातीय संतुलन भी बरकरार रहेगा. कैबिनेट में उच्च जाति को प्रतिनिधित्व मिल सकेगा. चर्चा है कि विधानसभा अध्यक्ष रवींद्र महतो इसबार मंत्री बनना चाहते हैं. रविंद्र महतो मंत्री बने तो फिर प्रोटेम स्पीकर स्टीफन मरांडी विधानसभा अध्यक्ष बन सकते हैं. हेमलाल मुर्मू का नाम भी चल रहा है. बहरहाल सारे फैसले हेमंत सोरेन को लेना है. इसिलए झामुमो में परेशानी नहीं है.

माले सरकार में शामिल होगा या पिछले बार की तरह बाहर रहेगा. इस पर शुक्रवार को फैसला हो जाएगा. पार्टी की बैठक होने वाली है. यदि माले सरकार में शामिल हुआ तो झामुमो का एक मंत्री कम हो जाएगा. माले के सरकार में शामिल होने पर अरुप चटर्जी मंत्री बनेंगे. सबकी नजरें माले के फैसले पर है.

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  • Sunil Singh

    Sunil Singh is Reporter at Aapki khabar from Ranchi, Jharkhand.

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