Location: Garhwa
पलामू जिले के पांडू थाना क्षेत्र के रत्नाग गांव निवासी मनोरमा देवी अपनी अधूरी जिंदगी जीने को मजबूर हैं। वह मेदिनीनगर के सुदना बैंक कॉलोनी में अकेले रहकर अपने दो मासूम बच्चों—कृतिका कुमारी (6) और अनीश कुमार (4)—की वापसी की राह देख रही हैं। बच्चों से बिछड़ने का दर्द उनके चेहरे पर साफ झलकता है, और रो-रोकर उनका बुरा हाल है।
शादी से प्रताड़ना तक का सफर
मनोरमा देवी का विवाह वर्ष 2016 में गढ़वा जिले के डंडई थाना क्षेत्र के लवाही कला निवासी राजेंद्र प्रसाद गुप्ता से हुआ था। शुरुआत में सब ठीक रहा, लेकिन कुछ साल बाद दहेज को लेकर विवाद शुरू हो गया। मनोरमा का आरोप है कि उनके पति और ससुरालवालों ने उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित करना शुरू कर दिया। एक बार उनके पति ने गर्म पानी डालकर उनकी जान लेने की कोशिश भी की।
न्याय की तलाश में भटकती मां
इस अत्याचार से तंग आकर मनोरमा ने डंडई थाना में शिकायत दर्ज करवाई, लेकिन उन्हें न्याय नहीं मिला। इसके बाद वह अपने बच्चों को लेकर ससुराल छोड़कर मेदिनीनगर आ गईं। परंतु, कुछ समय बाद उनके पति ने धोखे से बच्चों को अपने घर बुलाकर रख लिया और मनोरमा को मारपीट कर घर से निकाल दिया।
बच्चों की सुरक्षा पर सवाल
मनोरमा देवी का कहना है कि उनके पति नशे के आदी हैं और बच्चों की सही परवरिश नहीं कर सकते। उन्होंने गढ़वा पुलिस से अपने बच्चों को वापस दिलाने की गुहार लगाई है। वह गढ़वा एसपी से भी मिलीं, जहां उन्हें आश्वासन मिला कि उनके बच्चे वापस मिल जाएंगे। परंतु, महीनों बीत जाने के बाद भी उन्हें केवल संतावना ही मिली है।
ममता के लिए न्याय की लड़ाई
मनोरमा देवी की यह कहानी उस मां की है, जो अपने बच्चों से बिछड़ने के गम में जी रही है। वह बार-बार पुलिस और प्रशासन के दरवाजे खटखटा रही हैं, लेकिन अब तक न्याय से वंचित हैं।
मनोरमा की यह अपील प्रशासन और समाज से है कि उनके बच्चों को सुरक्षित उनके पास लौटाया जाए ताकि उनकी ममता फिर से जी उठे और बच्चों का भविष्य अंधकार से बाहर निकल सके।