झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 की सुगबुगाहट तेज हो चुकी है, और राज्य की राजनीतिक पार्टियों ने अपनी चुनावी रणनीतियों को धार देना शुरू कर दिया है। इस बार का चुनाव दो प्रमुख गठबंधनों, एनडीए (नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस) और इंडिया (इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस) के बीच सीधा मुकाबला साबित हो सकता है।
एनडीए में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) प्रमुख भूमिका में है। पार्टी का नेतृत्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह झारखंड भाजपा के प्रभारी शिवराज सिंह तथा
असम के मुख्यमंत्री हेमंत विशवासरमा के फिटबैक के आधार पर
कर रहे हैं। एनडीए के तहत भाजपा राज्य में एक बार फिर से सत्ता में आने के लिए जोर लगा रही है। झारखंड में भाजपा का पिछला प्रदर्शन मिश्रित रहा है, जहां उन्होंने ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में अलग-अलग परिणाम देखे हैं। इस बार, भाजपा के सहयोगी दलों के साथ मिलकर पिछड़ी जातियों, आदिवासी वोट बैंक और शहरी मध्यम वर्ग पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। इसके अलावा, भाजपा अपने पिछले कार्यकाल की उपलब्धियों, जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर विकास और केंद्र सरकार की जन कल्याणकारी योजनाओं को जनता के बीच प्रमुख रूप से उभारने की कोशिश कर रही है।
दूसरी ओर, इंडिया गठबंधन का नेतृत्व कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) कर रहे हैं। झामुमो के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पहले से ही सत्ता में हैं, और इस बार भी वे गठबंधन के प्रमुख चेहरे होंगे। सोरेन सरकार का फोकस आदिवासी और ग्रामीण इलाकों में अपनी पकड़ को मजबूत करने पर है। सरकार की योजनाएं जैसे ओल्ड पेंशन योजना, आदिवासी आरक्षण, और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं को उन्नत करना इस चुनाव में उनके प्रमुख मुद्दे होंगे।
इंडिया गठबंधन के अन्य प्रमुख घटक दल जैसे राष्ट्रीय जनता दल (राजद), लेफ्ट पार्टियां और छोटे क्षेत्रीय दल भी अपने-अपने स्तर पर सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। गठबंधन की एकजुटता और समन्वय से जनता के बीच एक मजबूत संदेश देने की कोशिश की जा रही है कि वे भाजपा के “विकास और सांप्रदायिक ध्रुवीकरण” के एजेंडे के खिलाफ खड़े हैं।
इस चुनाव में कई मुद्दे
- आदिवासी अधिकार और आरक्षण: झारखंड की बड़ी आबादी आदिवासी समुदाय से है, और उनके हितों को ध्यान में रखते हुए दोनों गठबंधन खास फोकस कर रहे हैं।
- विकास और रोजगार: राज्य में बेरोजगारी और औद्योगिकीकरण की कमी एक बड़ा मुद्दा है, जिसे हर दल अपने एजेंडे में रख रहा है।
- कानून और व्यवस्था: राज्य में नक्सलवाद और अपराध से निपटने की दिशा में भी चर्चा हो रही है।
- महंगाई और कृषि: किसानों के मुद्दे, बढ़ती महंगाई और कृषि के लिए बेहतर सुविधाएं देने के वादे भी प्रमुख भूमिका निभाएंगे।
झारखंड में जातीय समीकरण भी हमेशा से महत्वपूर्ण रहे हैं। पिछड़ी जातियों, आदिवासियों, और दलितों के वोट बैंक पर सभी राजनीतिक दलों की नजर है। भाजपा जहां शहरी और पिछड़ी जातियों पर ध्यान दे रही है, वहीं इंडिया गठबंधन आदिवासी, दलित और ग्रामीण वर्ग पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। इसके अलावा, राज्य के अलग-अलग हिस्सों में क्षेत्रीय दलों की पकड़ भी निर्णायक साबित हो सकती है।
झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 में एनडीए और इंडिया गठबंधन के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिलेगा। दोनों पक्षों के पास मजबूत नेतृत्व और अलग-अलग चुनावी रणनीतियां हैं। आगामी महीनों में प्रचार के दौरान यह देखना दिलचस्प होगा कि कौन से मुद्दे और समीकरण मतदाताओं को प्रभावित करते हैं।