Location: रांची
झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 में 2019 की तुलना में कई नई और जटिल चुनौतियां सामने आई हैं। 2019 में हेमंत सोरेन के नेतृत्व में झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) और कांग्रेस गठबंधन ने सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (BJP) को हराकर सरकार बनाई थी। हालांकि, 2024 में राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक परिदृश्य में बदलाव होने से नई चुनौतियां उभरकर सामने आई हैं।
- गठबंधन राजनीति की बदलती रणनीतियां: 2019 में JMM, कांग्रेस और RJD ने एक मजबूत गठबंधन बनाकर चुनाव लड़ा था। 2024 में यह देखना होगा कि यह गठबंधन कितनी मजबूती से साथ बना रहता है। वहीं, BJP भी संभावित सहयोगियों के साथ नई रणनीतियों पर काम कर रही है, जिससे गठबंधन की राजनीति और पेचीदा हो सकती है।
- आदिवासी वोट बैंक और जनजातीय मुद्दे: झारखंड में आदिवासी वोटर का महत्वपूर्ण प्रभाव है। 2019 में आदिवासी समुदाय के मुद्दों, जैसे भूमि अधिग्रहण कानून और जनजातीय अधिकारों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। 2024 में आदिवासी समुदाय की मांगें और उनके अधिकारों की रक्षा करने के सवाल पहले से ज्यादा प्रमुख हो गए हैं। सोरेन सरकार की नीतियों की प्रभावशीलता और BJP का आदिवासी क्षेत्र में बढ़ता प्रभाव भी एक चुनौतीपूर्ण मुद्दा होगा।
- बेरोजगारी और आर्थिक विकास: झारखंड की अर्थव्यवस्था कृषि और खनिज संसाधनों पर आधारित है। हालांकि, राज्य में बेरोजगारी और आर्थिक असमानता की समस्याएं लगातार बनी हुई हैं। 2019 में भी बेरोजगारी एक प्रमुख मुद्दा था, और 2024 में कोविड-19 के बाद की आर्थिक चुनौतियां और भी विकराल रूप ले सकती हैं। राजनीतिक दलों को रोजगार सृजन और औद्योगिकीकरण पर जोर देना होगा।
- भाजपा की वापसी की कोशिशें: 2019 में BJP को सत्ता से बाहर होना पड़ा था, लेकिन 2024 में वह पुनः वापसी की कोशिशों में लगी हुई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय नेतृत्व का राज्य में प्रभाव कितना रहेगा, यह देखने वाली बात होगी। BJP अपने समर्थक आधार को मजबूत करने के लिए नए मुद्दों और योजनाओं को पेश कर सकती है, जो सत्तारूढ़ दल के लिए चुनौती बन सकते हैं।
- भ्रष्टाचार और सुशासन का मुद्दा: 2019 के चुनावों में भ्रष्टाचार और सुशासन बड़ा मुद्दा था। 2024 में भी जनता सुशासन और प्रशासनिक पारदर्शिता की उम्मीद कर रही है। सरकार द्वारा किए गए कार्यों और योजनाओं की समीक्षा के साथ-साथ विपक्ष इन मुद्दों को उठाकर राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश करेगा।
- नक्सलवाद की समस्या: झारखंड के कई हिस्सों में नक्सलवाद एक गंभीर समस्या रही है। 2019 में यह मुद्दा पीछे चला गया था, लेकिन 2024 में सुरक्षा व्यवस्था और नक्सल प्रभावित इलाकों में स्थिरता बनाए रखने की चुनौतियां फिर से उभर सकती हैं।
झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 में चुनौतियां बहुआयामी हैं। गठबंधन की स्थिरता, आदिवासी वोट बैंक की सुरक्षा, आर्थिक विकास, भाजपा की पुनः वापसी की रणनीति, सुशासन के वादे, और नक्सलवाद की समस्या जैसी चुनौतियां राजनीतिक दलों के लिए निर्णायक होंगी। 2019 की तुलना में 2024 का चुनाव न केवल राजनीतिक गठबंधन, बल्कि मुद्दों के आधार पर भी अधिक जटिल और दिलचस्प होने की संभावना है।