Location: रांची
रांची: विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा के लिए राहत की खबर है. टिकट नहीं मिलने से नाराज अधिकांश बागी मान गए. सत्यानंद झा बाटुल, वीरेंद्र मंडल, गुरुचरण नायक, मुनचुन राय, कमलेश राम सहित कई बागियों ने नामांकन वापस ले लिया है. बागियों को मनाने में वैसे तो चुनाव प्रभारी शिवराज सिंह चौहान सहित भाजपा के सभी नेताओं ने भूमिका निभाई पर सबसे महत्वपूर्ण रोल असम के मुख्यमंत्री व चुनाव सह प्रभारी हिमंता विस्व सरमा का रहा. उन्होंने आगे बढ़ कर मोर्चा संभाला तो बात बन गई. बागी मान गए. भाजपा के बागियों में अब हुसैनाबाद से विनोद सिंह, गुमला से मिसिर उरांव व धनवार से भाजपा समथर्क रहे निरंजन राय प्रमुख हैं. निरंजन राय को भाजपा की ओर से मनाने की बहुत कोशिश की गई, लेकिन वह नहीं माने. गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे उनके घर तक गए। निरंजन राय बड़े ठेकेदार व धनपति हैं. पिछले कुछ सालों में उनकी नजदीकी सत्ताधारी नेताओं व मंत्रियों से बढ़ी है. एक मंत्री के सहारे व सीधे सत्ता शीर्ष से पहुंच गए. वर्तमान सरकार में उनकी कंस्ट्रक्शन कंपनी को खूब ठेका मिला है. कुछ मंत्रियों के क्षेत्र में उनकी कंपनी ने करोड़ों का काम किया है. एक मंत्री से अधिक नजदीकी हो गई है. ठेका-पट्टा करते-करते उनकी सरकार में पैठ बढ़ गई. सूत्र बताते हैं कि सत्ता से जुड़े बड़े नेताओं के इशारे पर ही वह धनवार से चुनाव लड़ रहे हैं. उद्देश्य साफ है, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष व धनवार से प्रत्य़ाशी बाबूलाल मरांडी को चुनाव में नुकसान पहुंचा कर जीत की राह में रोड़ा बनना. सत्ता शीर्ष से जुड़ाव के कारण ही भाजपा की बात नहीं बनी. सभी प्रयास विफल रहे. धनवार में भूमिहार वोटरों की संख्या अच्छी है. निरंजन राय का इलाके में धाक है, पैसे वाले हैं, इसलिए वह नुकसान पहुंचा सकते हैं. हालांकि यहां झामुमो व माले का उम्मीदवार भी मैदान में है. यहां गठबंधन टूट गया है.हुसैनाबाद से मैदान में डटे विनोद सिंह की नाराजगी भाजपा प्रत्याशी विधायक कमलेश सिंह से है. विनोद सिंह भी पैसे वाले हैं. कमलेश सिंह से अदावत की वजह से वह नहीं मानें. हालांकि खबर यह भी है कि सत्ता से जुड़े एक बड़े नेता ने भी विनोद सिंह को मैदान में डटे रहने को लेकर हवा दी है. यही हाल गुमला में मिसिर कुजूर का है. भाजपा के खिलाफ बागी बनकर वही नेता चुनाव लड़ रहे हैं, जिनको सत्ता पक्ष से ऊर्जा मिल रही है. ये लोग अब भाजपा के कंट्रोल में नहीं है. जो बागी कंट्रोल में थे, उन्हें मना लिया गया बाकी नहीं मानें. बागियों को लेकर अब तस्वीर साफ हो चुकी है. दो-तीन सीटों को छोड़कर बागी अब कहीं प्रभावी नहीं होंगे. भाजपा ने चुनाव में डैमेज करने वाले अधिकांश बागियों को मना लिया है. बागियों को मनाने में हिमंता विस्व सरमा ने सबसे अधिक मेहनत की। एक-एक बागी के घर गए। बातचीत कर उनकी नाराजगी दूर की। सरकार बनने पर सबको मान-सम्मान दिए जाने का भरोसा दिया गया. बागियों को मनाने को लेकर महामंत्री बीएल संतोष ने जो टास्क दिया था, उसे बहुत हद तक पूरा कर लिया गया है. चुनाव से पहले भाजपा ने लगभग डैमेज कंट्रोल कर लिया है.