Location: Garhwa
पिछले दो दिनों से राज्य के सभी व्यावसायिक शिक्षक अपनी मांगों को लेकर राज्य भवन के पास अनिश्चित् कालीन धरने पर है।जिसका असर विद्यालयों मे व्यावसायिक शिक्षा बाधित रही।
व्यावसायिक शिक्षको की कच मांगे निम्न है।
झारखंड शिक्षा परियोजना के द्वारा ठेकेदारी प्रथा के माध्यम से व्यावसायिक शिक्षा कार्यक्रम का 2015 से सरकारी +2 विद्यालय के 446 स्कूलों में 892 व्यावसायिक प्रशिक्षक के साथ संचालन हो रहा है। झारखंड में व्यावसायिक प्रशिक्षकों के द्वारा 2.5 लाख बच्या प्रतिवर्ष (वर्ग 9 से वर्ग 12 तक के) छात्र-छात्राओं को तकनीकी शिक्षा से जोड़कर आत्मनिर्भर एवं तकनीकी शिक्षा में हुनरमंद बनाकर रोजगार या उच्च शिक्षा उपलव्ध करवाया जा रहा है। व्यावसायिक शिक्षा को भारत सरकार द्वारा शिक्षा नीति में मुख्य विषय के तौर पर शामित किया गया है। इसके बावजूद भी हमारे झारखंड राज्य में व्यावसायिक शिक्षा कार्यक्रम को झारखंड शिक्षा परियोजना के द्वारा हर 2 साल मैं ठेकेदारों को बदल कर के संचालन करती हैं जिसमें मेरा सर्विस ब्रेक होता है एवं हमारे वेतन का प्रतिमाह 15% ठेकेदार को वेतन भुगतान करने के लिए दिया जाता है। ठेकेदारी प्रथा के कारण किसी भी प्रकार की सुविधा ना ही छात्र-छात्राओं को (2015 से आज तक ना ही पुस्तक एवं कोर्स सर्टिफिकेट) एवं ना ही व्यावसायिक प्रशिक्षक जिसका न्यूनतम पारिश्रमिक होने के बावजूद सहः समय वेतन भुगतान, साथ ही महीना में दो से अधिक अवकाश लेने पर वेतन कटौती, अचानक कोई बीमार पड़ जाए, या विद्यालय आने-जाने में एक्सीडेंट हो जाए या आकस्मिक दुर्घटना इत्यादि परिस्थितियों में, झारखंड शिक्षा परियोजना या कंपनी से गांग करने पर, कंपनी और विभाग द्वारा प्रताड़ित कर अनुभवी व्यावसायिक शिक्षकों का कंपनी के माध्यम से बाहर निकालना जैसी प्रक्रियाएँ वरसों से चली आ रही है।
महाशय, वर्षों से कार्यरत व्यावसायिक प्रशिक्षक की वेतन वृद्धि 2021 में ही झारखंड शिक्षा परियोजना के बजट में 23000 कर दी गई थी परंतु कंपनी और परियोजना की मनसा साफ नहीं होने के कारण आज तक अधिकारियों और कंपनियों के द्वारा 20000 के मानदेय में अलग-अलग एजेंसियां के द्वारा (TDS, EPFO, ESIC, इत्यादि के नाम पर) कटौती कर न्यूनतम भुगतान 16048 की राशि प्रतिमाह प्रदान की जा रही है, जो कि हमारे साथ शोषण है।
892 व्यवसायिक प्रशिक्षकों का शोषण के विरुद्ध मांगे :-
1) व्यावसायिक शिक्षा को ठेका प्रथा से मुक्त कर व्यवसायिक प्रशिक्षकों को शिक्षा विभाग में समायोजन की जाए। 2) सरकारी शिक्षकों के अवकाश के तर्ज पर व्यवसायिक प्रशिक्षकों के लिए भी अवकाश की व्यवस्था की जाए (जैसे मेडिकल, आकस्मिक,
क्षतिपूर्ति, विशेष अवकाश के साथ मातृत्व एवं पितृत्व अवकाश जैसी सुविधा उपलब्ध हो) 3) व्यवसायिक प्रशिक्षकों के शैक्षणिक योग्यता को देखते हुए सम्मान जनक वेतन के रूप में प्रतिमाह 35000 भुगतान करने की कृपा की जाए,
साथ ही महंगाई को देखते हुए प्रतिवर्ष वेतन में वृद्धि की जाए।
4) 2021 से अब तक का बढे हुए बकाया वेतन का भुगतान एरिया के रूप में तत्काल की जाए।