रांची : भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन आज पहली बार संथाल परगना पहुंचे। पाकुड़ के हिरणपुर में उन्होंने मांझी परगना सम्मेलन में भाग लिया। उनके साथ शिबू सोरेन परिवार की बड़ी बहू पूर्व विधायक सीता सोरेन और लोबिन हेंब्रम भी सम्मेलन में थे। चंपई सोरेन का यहां जोरदार स्वागत किया गया। चंपई सोरेन ने हेमंत सरकार और बांग्लादेशी घुसपैठियों के खिलाफ हुंकार भरी। उन्होंने कहा कि बांग्लादेशी घुसपैठियों के कारण संथाल परगना क्षेत्र में आदिवासियों का अस्तित्व खतरे में है। यहां 44% से घटकर आदिवासियों की संख्या 28% हो गई। आखिर हमारे समाज के लोग कहां गए। उनके गांव, घर, जमीन पर कौन कब्जा कर लिया। बहू बेटियों की इज्जत कौन लूट रहा है। यह गंभीर मामला है। सरकार चुप है। मुंह छुपा कर बैठी हुई है और वोट के लिए आदिवासियों के हितों से समझौता कर रही है। बांग्लादेशी घुसपैठियों के खिलाफ सरकार कोई कार्रवाई नहीं कर रही है। हम आदिवासी समाज को बचाएंगे। उनका अस्तित्व मिटने नहीं देंगे। उन्होंने कहा कि संथाल परगना का क्षेत्र वीरों की धरती है। हजारों लोगों ने कुर्बानी दी है। यह वीर सिद्धू कानों की धरती है। आदिवासियों पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ व संघर्ष करेंगे। हेमंत सोरेन पर खूब बरसे। लोबिन हेंब्रम और सीता सोरेन ने भी बांग्लादेशी घुसपैठियों की वजह से आदिवासियों के अस्तित्व पर मंडरा रहे संकट पर हमला बोला। तीनों नेता पहली बार संथाल में एक साथ मंच पर दिखाई दिए तीनों ने झारखंड मुक्ति मोर्चा के खिलाफ मुहिम छेड़ दी है। ज्ञात हो कि तीनों बड़े आदिवासी नेता झामुमो छोड़कर भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए हैं।