Location: रांची
रांची : झारखंड में भाजपा और जनता दल यूनाइटेड के बीच गठबंधन के तहत सीटों के बंटवारे में जमशेदपुर पूर्वी के विधायक सरयू राय रोड़ा बन गए हैं। दोनों दलों के बीच पूर्वी जमशेदपुर को लेकर मामला फंसा हुआ है। इसीलिए सीटों के तालमेल पर अंतिम फैसला नहीं हो पा रहा है। जमशेदपुर पूर्वी का विवाद केंद्रीय नेतृत्व के पाले में है। असम के मुख्यमंत्री व झारखंड के चुनाव सह प्रभारी हिमंता विश्व सरमा ने भी कहा है कि 99% सीटों पर सहमति बन गई है। दो-तीन सीटों पर मामला फंसा हुआ। इसमें से एक सीट पूर्वी जमशेदपुर है। 4 अगस्त को सरयू राय जब जदयू में शामिल हुए तो उसी दिन मैंने अपने पोस्ट में लिखा था कि भाजपा और जदयू के रिश्ते में सरयू राय रोड़ा बनेंगे। अब यही हो रहा है। राज्यपाल रघुवर दास और सरयू राय के रिश्ते जग जाहिर जाहिर हैं। रघुवर दास ने पूरा जोर लगाया है कि पूर्वी जमशेदपुर की सीट सरयू राय के लिए भाजपा न छोड़े। उन्होंने इसे प्रतिष्ठा की लड़ाई बना ली है। रघुवर दास ने अपनी भावना से केंद्रीय नेतृत्व को भी अवगत करा दिया है। केंद्रीय नेतृत्व बीच का रास्ता तलाश रहा है। भाजपा का एक बड़ा खेमा चाहता है कि सरयू राय पूर्वी के बदले अपनी पुरानी सीट पश्चिमी जमशेदपुर से चुनाव लड़ें। सरयू राय इसके लिए फिलहाल तैयार नहीं हैं। वह पूर्वी से ही चुनाव लड़ना चाहते हैं। उन्होंने तैयारी भी शुरू कर दी है। इधर, जदयू पूर्वी जमशेदपुर के लिए जोर लगाए हुए हैं। पार्टी ने भाजपा पर जबरदस्त दबाव बनाया है। मामला नीतीश कुमार के हाथ में है। सरयू राय ने कह दिया है कि नीतीश जो फैसला लेंगे उसे वह मानेंगे। सरयू राय के मुद्दे पर प्रदेश नेतृत्व खामोश है। प्रदेश के नेता कहते हैं कि सरयू राय का मामला केंद्रीय नेतृत्व के पास है। फैसला दिल्ली से होना है। जदयू सुधा चौधरी के लिए पलामू में छतरपुर की सीट भी मांग रहा है। जबकि यह सीट भाजपा की की है। पुष्पा देवी विधायक हैं। भाजपा यह सीट छोड़ने को तैयार नहीं है। प्रदेश अध्यक्ष खीरू महतो अपने बेटे के लिए मांडू की सीट चाहते हैं। लेकिन यह सीट आजसू के खाते में है। टुंडी और ईचागढ़ का विवाद भी अभी नहीं सुलझा है। आजसू भाजपा में ईचागढ़ पर विवाद बना हुआ है। टुंडी पर आजसू और जदयू दोनों की दावेदारी है। सुदेश महतो टुंडी के लिए जोर लगाए हुए हैं। खबर है कि कुछ स्थानीय नेताओं से उन्होंने फोन पर बात कर टुंडी में समर्थन की मांग की है। दावा छोड़ने को कहा है। इधर, बड़कागांव पर भी भाजपा ने अंतिम रूप से कोई फैसला नहीं लिया है। यहां आजसू की दावेदारी है। चंद्रप्रकाश चौधरी के भाई रोशन लाल चौधरी यहां से चुनाव लड़ना चाहते हैं। वह दो बार चुनाव लड़कर हार चुके हैं। रोशन लाल को लेकर आजसू में भी मतभेद है। वजह एक ही परिवार के वर्चस्व के कारण विरोध है। चंद्र प्रकाश चौधरी गिरिडीह से सांसद हैं। उनकी पत्नी सुनीता चौधरी रामगढ़ से विधायक हैं। इस बार भी वह चुनाव लड़ेंगी। ऐसे में एक सीट उनके भाई के लिए और दी जाए इस पर विवाद है। रोशन लाल चौधरी यदि बड़कागांव से चुनाव लड़ते हैं और पार्टी उन्हें उम्मीदवार बनाती है तो फिर परिवारवाद का आरोप लगेगा। भाजपा की नजर कांग्रेस विधायक अंबा प्रसाद पर है। अंबा प्रसाद यहां मजबूत हैं। राजनीतिक समीकरण अभी भी उनके पक्ष में है। ऐसे में भाजपा उन पर डोरे डाल रही है। अंबा को लेकर ही बड़कगांव का मामला अटका हुआ है। यहां भाजपा के पास भी कोई मजबूत उम्मीदवार नहीं है।
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