Location: रांची
रांचीः छठी झारखंड विधानसभा का पहला सत्र सोमवार से शुरू हो रहा है . सत्र 9 से 12 दिसंबर तक चलेगा. पांचवीं विधानसभा से छठी विधानसभा का स्वरूप व तस्वीर अलग होगा. बहुत कुछ बदला हुआ नजर आएगा. कई चेहरे नए दिखेंगे, कई गायब मिलेंगे. राज्य गठन के बाद पहली बार आधी आबादी की धमक भी दिखेगी. इस बार सदन में विभिन्न दलों से 12 महिलाएं जीत कर आई हैं. सदन में 20 नए चेहरे दिखेंगे. पुराने के साथ नए मंत्री भी सदन में नजर आएंगे. इस बार सत्ता पक्ष और मजबूत दिखेगा वहीं विपक्ष कमजोर. 2024 के चुनाव में इंडी गठबंधन को शानदार जीत मिली है. सत्ता पक्ष की ओर से 56 विधायक रहेंगे तो विपक्ष की ओर से 25 विधायक. पहली बार कोई निर्दलीय विधायक सदन में नहीं होगा. इंडी गठबंधन की ओर से झामुमो के 34, कांग्रेस के 16, राजद के 4 व माले के 2 विधायक हैं. जबकि विपक्ष में भाजपा के 21, जदयू, लोजपा व आजसू के एक-एक विधायक हैं. झारखंड लोकतांत्रिक मोर्चा के जयराम महतो हैं. जयराम महतो ने साफ कर दिया है कि वह सरकार की अच्छी नीतियों का ही समर्थन करेंगे, अन्य मुद्दों पर विरोध रहेगा.
पांचवीं विधानसभा के कई प्रमुख सदस्य इस बार चुनाव हार गए हैं. इस बार उनकी आवाज नहीं गुंजेगी. भाजपा की ओर से फायरब्रांड नेता भानु प्रताप शाही, विरंची नारायण, अनंत ओझा, रणधीर सिंह, सीनियर विधायक नीलकंठ सिंह मुंडा, आजसू प्रमुख सुदेश महतो, लंबोदर महतो, माले के विनोद सिंह आदि प्रमुख हैं. पिछली सरकार के चार मंत्री भी चुनाव हार गए हैं. इनमें झामुमो के मिथिलेश ठाकुर, वैद्यनाथ राम, बेबी देवी व कांग्रेस के बन्ना गुप्ता हैं. सदन में मिथिलेश ठाकुर व बन्ना गुप्ता की कमी सरकार को खलेगी. भाजपा की ओर से आवाज बुलंद करने वाले प्रमुख विधायक हार गए हैं, इसलिए सरकार को थोड़ी राहत भी मिलेगी.
सदन में नए-पुराने मंत्री भी दिखेंगे. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का हौसला बुलंद है. उनके नेतृत्व में सरकार ने सत्ता में शानदार वापसी की है. इसलिए वह सदन में आत्मविश्वास से लबरेज रहेंगे. विपक्ष पर और अधिक हमलावर रहेंगे. पुराने मंत्रियों में दीपक बिरूआ. दीपिका पांडेय सिंह, रामदास सोरेन, हफीजुल हसन व इरफान अंसारी रहेंगे तो नए मंत्रियों में राधाकृष्ण किशोर, संजय प्रसाद सिंह यादव, सुदिव्य कुमार सोनू, चमरा लिंडा, योगेंद्र महतो व शिल्पी नेहा तिर्की हैं. सरकार की ओर से इन्हीं को जबाव देना है. सबसे सीनियर मंत्री राधाकृष्ण किशोर हैं तो सबसे युवा शिल्पी नेहा तिर्की.
विधासभा अध्यक्ष का चुनाव 10 दिसंबर को होगा. संभावना है कि रविंद्रनाथ महतो एक बार फिर विधानसभा अध्यक्ष हो सकते हैं. कांग्रेस व भाजपा ने विधायक दल के नेता का चयन नहीं किया है. राजद विधायक दल के नेता सुरेश पासवान हैं. कांग्रेस की और से विधायक दल के नेता की घोषणा तो हो सकती है. लेकिन भाजपा फिलहाल विधायक दल के नेता बिना ही सदन में रहेगी. भाजपा अभी नाम पर मंथन कर रही है. नेता के चयन में विलंब की संभावना है. सारे समीकरण देखे जा रहे हैं. विधानसभा का शीतकालीन सत्र यदि बुलाया जाता है तब या फिर बजट सत्र में भाजपा नेता का चयन कर सकती है. भाजपा में सीपी सिंह व प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी दावेदार हैं. भाजपा का फोकस अब सदस्यता अभियान पर है. फरवरी-मार्च में नए अध्यक्ष का चुनाव भी होना है. जयराम महतो पर भी सबकी नजर रहेगी. सदन में इनकी परीक्षा होगा.
सदन में कई पुराने चेहेरे फिर से दिखेंगे. इनमें मनोज यादव, नागेंद्र महतो, देवेंद्र कुंवर. हेमलाल मुर्मू, सत्येंद्र तिवारी, सुरेश पासवान, संजय कुमार सिंह यादव, प्रकाश राम, जनार्दन पासवान आदि फिर से जीत कर आए हैं.
मनोनीत विधायक की परंपरा खत्म
झारखंड गठन के बाद पहली बार सदन में एंग्लो इंडियन समुदाय का प्रतिनिधत्व भी नहीं दिखेगा. संविधान में किए गए संशोधन के अनुसार देश के सभी राज्यों के विधानसभा से एंग्लो इंडियन समुदाय का प्रतिधित्व खत्म कर दिया गया है. पिछली विधानसभा में ग्लेन जोसेफ गालस्टन को इस समुदाय से विधायक मनोनीत किया गया था. इनको लेकर विधानसभा में सदस्यों की संख्या 82 हो जाती थी. लेकिन अब चुने हुए 81 विधायक ही सदन में रहेंगे. एंग्लो इंडियन समुदाय से मनोनीत विधायक को भी वहीं सुविधाएं मिलती थी जो चुने गए विधायकों को मिलती है. सदन में इस बार यह बदलाव भी देखने को मिलेगा.