Location: रांची
रांची: विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा और आजसू में सीटों के बंटवारे पर बहुत हद तक सहमति हो गई है। वार्ता अंतिम दौर में है। महीने के अंत तक पूरी तस्वीर साफ हो जाएगी। जानकारी के अनुसार 9 सीटों पर लगभग सहमति बन गई। अब दो-तीन सीटों पर मामला फंसा हुआ है। संभावना है कि एक सीट और भाजपा आजसू के लिए छोड़ सकती है। आजसू 12 से 13 सीट मांग कर रही है। लेकिन फिलहाल भाजपा 9 सीट देने को तैयार है। दबाव पड़ा तो एक सीट और दे सकती है। भाजपा 10 से अधिक सीट आजसू को नहीं देगी। फिलहाल भाजपा जो 9 सीट आजसू को देने के लिए तैयार है। उनमें भाजपा की एक सीटिंग सीट सिमरिया भी है। भाजपा लोहरदगा, सिमरिया सिल्ली, रामगढ़, मांडू, गोमिया, डुमरी, जुगसलाई और पाकुड़ सीट देने को तैयार हो गई है। इन नौ सीटों पर लगभग दोनों पार्टियों के बीच सहमति बन गई है। अब इनमें हेरफेर की संभावना कम है। वैसे जब तक सूची नहीं जारी होगी तब तक पक्के तौर पर कुछ कहा नहीं जा सकता है। फिलहाल यही स्थिति है। इधर आजसू चंदनक्यारी, टुंडी, तमाड़ और ईचागढ़ सीट पर भी दावा कर रही है। लेकिन भाजपा फिलहाल तैयार नहीं है। सुदेश महतो टुंडी के लिए जोर लगाए हुए हुए हैं। सुदेश यहां से आईपीएस अधिकारी रह चुके संजय रंजन के साथ इजराफिल अंसारी के लिए संभावना तलाश रहे हैं। कुछ लोग दावा कर रहे हैं कि सुदेश भी यहां से चुनाव लड़ सकते हैं? टुंडी विधानसभा की जो वर्तमान राजनीतिक स्थिति है उसको देखते हुए भाजपा टुंडी छोड़ सकती है। हालांकि यहां से एक युवा चेहरा राजीव ओझा भाजपा से टिकट के मजबूत दावेदार हैं। दिल्ली तक उनकी पकड़ है। राजीव ओझा की दावेदारी के कारण भी मामला उलझा हुआ है। चंदनक्यारी और ईचागढ़ सीट छोड़ने को भाजपा तैयार नहीं है। चंदनक्यारी से प्रतिपक्ष के नेता अमर बाउरी सिटिंग विधायक हैं। जबकि ईचागढ़ से पार्टी अरविंद सिंह को चुनाव लड़ना चाहती है। टिकट का भरोसा दिए जाने के बाद ही अरविंद सिंह भाजपा में शामिल हुए हैं। अरविंद सिंह ईचागढ़ से विधायक रह चुके हैं और क्षेत्र में मजबूत पकड़ भी है। इसलिए भाजपा यह सीट अपने पास रखना चाहती है। लोकसभा चुनाव में भी भाजपा को यहां से 50000 से अधिक वोट की बढ़त मिली थी।
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