Location: Garhwa
गढ़वा से रेफर होने के बाद मेदिनीनगर अस्पताल में प्रसूता की हुई मौत
गढ़वा : गढ़वा सदर अस्पताल के गाइनी विभाग में चिकित्सकाें की मनमानी चरम पर है। खासकर, सायंकालीन एवं रात ड्यूटी में तो गाइनी विभाग में कोई भी चिकित्सक ड्यूटी में ही नहीं रहता है। इसका खामियाजा प्रसव के लिए आने वाली महिलाओं को झेलना पड़ता है। समय पर इलाज नहीं होने के कारण कई बार प्रसव कक्ष में भर्ती महिलाओं की मौत हो जाती है। गुरुवार की रात में कुछ ऐसा ही हुआ, जब हरिहरपुर ओपी क्षेत्र के रपुरा गांव निवासी राहुल रजवार की पत्नी कुशमी देवी को प्रसव के बाद गंभीर हालत में सदर अस्पताल में लाया गया था। प्रसूता को रक्तस्राव हो रहा था। लेकिन गाइनी विभाग में रात्रिकालीन ड्यूटी में मौजूद चिकित्सक गायब थी। दो घंटे तक मरीज का न तो इलाज हुआ और न ही उसे रेफर ही किया गया। जबकि ड्यूटी में मौजूद एक नर्स ने महिला चिकित्सक को मोबाइल फोन पर काल किया। लेकिन चिकित्सक ने अस्पताल में दो घंटे देर से पहुंची और मरीज को बिना देखे ही हायर सेंटर रेफर कर दिया। मेदिनीनगर सदर अस्पताल में रात में इलाज के दौरान महिला की मौत हो गई।
-क्या है पूरा मामला –
क्षेत्र के रपुरा गांव निवासी राहुल रजवार की पत्नी कुशमी देवी अपने मायका विशुनपुरा थी।उसके पति बाहर काम करने गए हैं। गुरुवार को दोपहर में प्रसव पीड़ा होने पर उसके पिता विशुनपुरा निवासी चानदेव रजवार एवं मां तेतरी देवी ने कुशमी देवी को प्रसव के लिए रमना में रहनेवाली एक सरकारी नर्स अंजली कुमारी के पास ले गए। बताया गया कि अंजली कुमारी ने कुशमी देवी को नार्मल डिलेवरी करा देने की बात कही। इसके लिए दवा खर्च समेत 5,000 रुपये जमा कराए। गुरुवार की शाम करीब पांच बजे कुशमी देवी ने एक बच्ची को जन्म दिया। लेकिन प्रसव के कुछ देर बाद ही उसे रक्तस्राव होने लगा। इलाज के बाद सुधार नहीं होने पर नर्स अंजली ने प्रसूता के स्वजनों को गढ़वा सदर अस्पताल ले जाने की सलाह दे दी। इसके बाद मरीज को लेकर उसके स्वजन रात करीब 9:00 बजे सदर अस्पताल पहुंचे। लेकिन गाइनी विभाग में चिकित्सक गायब थी। डा.माहेरू यामानी की ड्यूटी थी। जबकि नर्स नीतू कुमारी ने मरीज के स्वजनों से पूछताछ करने के बाद यह कहकर उन्हें डांट-फटकार किया कि पैसा देकर प्राइवेट में इलाज कराते हो और फ्री में इलाज कराने सदर अस्पताल आ गए। यहां भी पैसा लगेगा, तब ही मरीज को हाथ लगाएंगे। इस संबंध में महिला के साथ आए उसके ममेरा भाई बरडीहा थाना क्षेत्र के कोल्हुआ गांव निवासी उमेश रजवार ने बताया कि दो घंटे तक उसका कोई इलाज ही नहीं हुआ। प्रसव कक्ष से नीचे भेज दिया गया। रात करीब 11 बजे डा.माहेरू यामानी ने सदर अस्पताल पहुंची और अपनी गाड़ी में ही रेफर पेपर मंगाकर रेफर कर दिया।इसके बाद प्रसूता को लेकर उसके स्वजन मेदिनीनगर सदर अस्पताल चले गए। वहां इलाज के दौरान रात करीब दो बजे उसकी मौत हो गई। वहां कुशमी देवी के इलाज करने वाले चिकित्सक ने स्वजनों को बताया कि नार्मल डिलेवरी नहीं, बल्कि छोटा आपरेशन कर प्रसव कराया गया है। महिला को पांच टांका लगा था। इससे अत्यधिक रक्तस्राव के कारण उसकी जान चली गई। मरीज के स्वजनों का कहना था कि समय पर सदर अस्पताल में इलाज या यहां से रेफर ही कर दिया जाता तो उसकी जान बच सकती थी। लेकिन चिकित्सक की लापरवाही के कारण जान चली गई।उन्होंने कहा कि यदि सदर अस्पताल में लगे सीसीटीवी कैमरे को खंगाला जाएगा तो चिकित्सक के आने जाने का पूरा सच सामने आ जाएगा। इधर, इस मामले को लेकर सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डा.हरेनचंद्र महतो से संपर्क करने का प्रयास किया गया। लेकिन वे कार्यालय में नहीं थे। जबकि मोबाइल फोन पर उन्होंने काल रिसीव नहीं किया।
-पक्ष-
इसकी जानकारी नहीं है। मामले की पूरी जानकारी लेकर ही कुछ बता सकते हैं।
-डा.अशोक कुमार, सिविल सर्जन, गढ़वा।