
गढ़वा : झारखंड ऑफिसर्स टीचर्स एंड एंप्लॉई फेडरेशन (जिला इकाई गढ़वा) के जिलाध्यक्ष सुशील कुमार ने शिक्षा विभाग द्वारा जारी उस आदेश पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है, जिसमें शिक्षकों द्वारा लगातार तीन दिनों तक ऑनलाइन उपस्थिति दर्ज करने में देरी होने पर एक दिन का आकस्मिक अवकाश काटने का निर्देश दिया गया है।
सुशील कुमार ने कहा कि यह आदेश एक ओर जहां शिक्षकों में समयपालन की आदत को प्रोत्साहित करने के दृष्टिकोण से देखा जा सकता है, वहीं दूसरी ओर इसका नकारात्मक प्रभाव शिक्षकों की स्वायत्तता और मनोबल पर पड़ सकता है। उन्होंने कहा कि “ऐसे आदेशों से शिक्षक अनुशासन तो सीख सकते हैं, परंतु यह आदेश अन्यायपूर्ण दंड जैसा प्रतीत होता है।”
उन्होंने यह भी कहा कि विद्यालय में देरी से पहुंचने के कई व्यक्तिगत और परिस्थितिजन्य कारण हो सकते हैं—जैसे लंबी दूरी, स्वास्थ्य समस्याएं, या वाहन खराब होना। ऐसे में तीन दिन देरी पर एक दिन की छुट्टी काटना शिक्षक विरोधी कदम है।
सुशील कुमार ने यह भी आरोप लगाया कि झारखंड सरकार केवल शिक्षकों पर ही ऐसे कठोर नियम लागू करती है, जबकि अन्य विभागों में कार्यरत कर्मियों और अधिकारियों पर ऐसे आदेश नहीं दिए जाते। उन्होंने कहा कि “यदि शिक्षक मानसिक रूप से स्वतंत्र एवं स्वायत्त नहीं होंगे, तब तक बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने में स्वयं को असहज महसूस करेंगे।
