
Location: Garhwa

गढ़वा: केन्द्र सरकार द्वारा हाल ही में पारित वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 को लेकर अल्पसंख्यक अधिकार मंच, गढ़वा ने कड़ा विरोध जताया है। मंच ने इसे मुस्लिम समुदाय की धार्मिक स्वायत्तता और मौलिक अधिकारों का उल्लंघन बताते हुए कहा कि यह कानून तानाशाही रवैये से बहुमत के बल पर पारित किया गया है।
मंच ने यह भी कहा कि वक्फ एक्ट 1995 में बिना मुस्लिम समाज के विशेषज्ञों और मुतवल्लियों से मशवरा किए गए संशोधन असंवैधानिक हैं। जेपीसी (संयुक्त संसदीय समिति) द्वारा दिए गए सुझावों की भी अनदेखी की गई है।
वक्फ संपत्तियों में मस्जिद, मदरसा, ईदगाह, कब्रिस्तान, मजार, मकबरा, दुकानें और कृषि भूमि जैसी संपत्तियां शामिल हैं, जिन्हें मुस्लिम समाज ने दान स्वरूप वक्फ किया था। मंच का कहना है कि इस कानून से वक्फ संपत्तियों को नुकसान हो सकता है।
प्रेस विज्ञप्ति में उठाए गए प्रमुख मुद्दे: धार्मिक अधिकारों का उल्लंघन: यह अधिनियम धार्मिक स्वतंत्रता के तहत अनुच्छेद 14, 25, 26 और 29 का उल्लंघन करता है। वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों की सदस्यता से मुस्लिम संपत्तियों पर हस्तक्षेप हो सकता है। सरकारी नियंत्रण में वृद्धि: यह कानून सरकारी नियंत्रण को बढ़ाता है, जिससे नौकरशाही का अतिक्रमण और भेदभाव हो सकता है। ऐतिहासिक वक्फ संपत्तियों का खतरा: इस कानून से पारंपरिक रूप से वक्फ की गई संपत्तियों पर खतरा उत्पन्न हो सकता है।विवादों में वृद्धि: वक्फ ट्रिब्यूनल की जगह जिला कलेक्टरों को संपत्ति विवादों का अधिकार देने से समाधान प्रक्रिया जटिल हो सकती है। गैर-मुस्लिम प्रतिनिधित्व: वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों को सदस्य बनाने से बोर्ड की कार्यक्षमता प्रभावित हो सकती है। वक्फ करने की नई शर्त: अब वही व्यक्ति वक्फ कर सकता है जो कम से कम पांच वर्षों से इस्लाम धर्म का पालन कर रहा हो, जो अन्य धर्मों के लिए भेदभावपूर्ण है। मौके पर डॉक्टर यासीन अंसारी मेदनी खान चुन्नू करैशी मासूम खान वसीम खान फरीद खान वह अन्य लोग उपस्थित थे
