रंका (गढ़वा):
रंका प्रखंड कार्यालय के अधिकारियों पर लंबे समय से मनरेगा और पंद्रहवीं वित्त आयोग से संचालित योजनाओं के संचालन में सरकारी निर्देशों की अनदेखी करने और मनमर्जी से कार्य कराने का गंभीर आरोप लगा है। अनुमंडल पदाधिकारी (एसडीओ) रुद्र प्रताप द्वारा इस संबंध में बार-बार जांच रिपोर्ट तलब किए जाने के बावजूद प्रखंड कार्यालय से कोई जवाब नहीं दिया गया है।
इस संबंध में जानकारी देते हुए समाजसेवी सह आरटीआई कार्यकर्ता यैवंत चौधरी ने बताया कि वर्ष 2022 से रंका प्रखंड के सभी 14 पंचायतों में मनरेगा एवं पंद्रहवीं वित्त आयोग के अलावा अन्य मदों से संचालित योजनाओं में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार द्वारा स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किए गए थे। बावजूद इसके, वर्षों से प्रखंड कार्यालय और पंचायत स्तर पर जमे कुछ अधिकारियों द्वारा इन योजनाओं को मनमर्जी से चलाया जा रहा है, जिससे धरातल पर योजनाओं का कोई प्रभाव नहीं दिख रहा।
श्री चौधरी ने आरोप लगाया कि योजनाओं के नाम पर अरबों रुपये की राशि खर्च की जा चुकी है, लेकिन रंका की स्थिति आज भी जस की तस बनी हुई है। क्षेत्रफल नहीं बढ़ा, संसाधन और सुविधाएं नहीं आईं, जबकि आबादी लगातार बढ़ रही है। ग्रामीण आज भी बुनियादी सुविधाओं के लिए हाय-तौबा कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि अनुमंडल पदाधिकारी द्वारा लगातार पत्र भेजकर जांच रिपोर्ट तलब की गई है। इनमें कार्यालय पत्रांक 62 (दिनांक 11.02.2023), पत्रांक 1141 (दिनांक 03.11.2023), पत्रांक 154 (दिनांक 27.02.2024), पत्रांक 338 (दिनांक 03.06.2024) एवं पत्रांक 156 (दिनांक 04.03.2025) शामिल हैं। बावजूद इसके, अब तक किसी भी पत्र का संतोषजनक उत्तर प्रखंड कार्यालय से नहीं मिला है।
श्री चौधरी ने यह भी आशंका जताई कि प्रखंड स्तर के कुछ अधिकारियों को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है, जिस कारण वे जांच की अनदेखी कर रहे हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि शीघ्र ही इस पर कार्रवाई नहीं हुई तो वे उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर करने को बाध्य होंगे।