पलामू प्रमंडल में इंडिया गठबंधन के समक्ष सीटों के बंटवारे में मुश्किल आने वाली है। राजद के साथ-साथ कांग्रेस और झामुमो की दावेदारी के कारण परेशानी बढ़ने की उम्मीद है। डाल्टनगंज विधानसभा सीट पर इस बार झारखंड मुक्ति मोर्चा की नजर है। जबकि यह सीट कांग्रेस के पास है। डाल्टनगंज की राजनीति में इंदर सिंह नामधारी के बेटे दिलीप सिंह नामधारी को लेकर काफी हलचल है। दिलीप सिंह नामधारी चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। उन्होंने क्षेत्र में दौरा शुरू कर दिया है।
दिलीप सिंह नामधारी फिलहाल किसी दल में नहीं हैं लेकिन उनकी इच्छा है कि झारखंड मुक्ति मोर्चा उन्हें डाल्टनगंज सीट से इंडिया गठबंधन के तहत उम्मीदवार बनाए। इसके लिए जबरदस्त लाबिंग
चल रही है। झारखंड मुक्ति मोर्चा के कई बड़े नेताओं से नामधारी संपर्क में हैं। उन्हें तैयारी करने का संकेत दिया गया है।
पलामू प्रमंडल में विधानसभा की 9 सीट है। पिछले चुनाव में कांग्रेस कांग्रेस 5, राजद ,2 और झामुमो के खाते में दो सीट गई थी। पांच में से कांग्रेस सिर्फ एक ही सीट जीत पाई थी मनिका। इस बार झामुमो पलामू प्रमंडल में कांग्रेस की
सीट में कटौती कर अधिक सीटों पर लड़ना चाह रहा है। कांग्रेस डाल्टनगंज दो बार से हार रही है। इसलिए इस बार झामुमो लड़ने की तैयारी कर रहा है। दिलीप सिंह नामधारी के लिए यह सीट चाह रहा है। नामधारी भी जोर लगाए हुए हैं। एक दो लोग झामुमो भी दावेदारी कर रहे हैं।
इधर, कांग्रेस आसानी से सीट छोड़ने को तैयार नहीं होगी। क्योंकि कांग्रेस में भी कई लोग चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। केएन त्रिपाठी चतरा से चुनाव हार गए हैं इसलिए कई अन्य कांग्रेसियों की नजर इस सीट पर है। केएन त्रिपाठी की नजर इस बार बिश्रामपुर सीट पर है।
इधर, इस बार झारखंड मुक्ति मोर्चा भवनाथपुर सीट से भी चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहा है। पिछली बार यह सीट कांग्रेस के पास थी। कांग्रेस को यहां बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा था।कांग्रेस के पास कोई मजबूत दावेदार नहीं है। इसलिए माना जा रहा है कि भवनाथपुर सीट कांग्रेस झामुमो के लिए छोड़ सकती है। झामुमो से अनंत प्रताप देव उर्फ छोटे राजा चुनाव लड़ेंगे। छोटे राजा काफी पहले ही पार्टी में शामिल हो चुके हैं और क्षेत्र में सक्रिय हैं।
भवनाथपुर तो कांग्रेस आसानी से छोड़ सकती है। लेकिन डाल्टनगंज सीट छोड़ने के लिए जल्द तैयार नहीं होगी। इसलिए यह माना जा रहा है कि इस सीट पर दोनों दलों के बीच टकराव निश्चित हैl
इधर, राजद के साथ भी झारखंड मुक्ति मोर्चा अंदर-अंदर गेम कर रहा है। राजद इंडिया गठबंधन में इस बार रहेगा कि नहीं यह कहना मुश्किल है। क्योंकि पिछली बार के मुकाबले इस बार अधिक सीट चाह रहा है। झारखंड मुक्ति मोर्चा खुद इस बार अपनी सीटों की संख्या बढ़ाने के लिए गठबंधन दलों पर दबाव बनाए हुए है। इंडिया गठबंधन में सीटों के बंटवारे का पेच आसानी से नहीं सुलझने वाला है।