
Location: Garhwa

गढ़वा। मंगलवार को सदर अनुमंडल कार्यालय सभा कक्ष में गढ़वा जिला स्थापना दिवस के अवसर पर ‘सपनों का गढ़वा’ विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इसमें जिले के प्रबुद्धजनों ने गढ़वा जिला बनने के संस्मरण और अब तक के बदलावों को साझा किया। साथ ही, गढ़वा के विकास को लेकर अपने सपने और आवश्यक सुधारों पर चर्चा की गई।
संगोष्ठी की अध्यक्षता अनुमंडल पदाधिकारी संजय कुमार ने की। कार्यक्रम में डॉ. मुरली श्याम गुप्ता ने बताया कि उनके बचपन में लैंपपोस्ट और ढिबरी का जमाना था, लेकिन जिले के गठन के बाद विकास की रफ्तार बढ़ी। समाजसेवी डॉ. यासीन अंसारी ने कहा कि गढ़वा जिला बनने से पहले यहां 90% से अधिक खपरैल के मकान थे, लेकिन अब पक्के मकानों की संख्या काफी बढ़ चुकी है।
लायन सुशील केसरी ने जिले में जलस्तर की गिरावट पर चिंता जताई और बालू उठाव रोकने व वृक्षारोपण पर जोर दिया। शिक्षक अरुण दुबे ने कहा कि शिक्षा ही सर्वोत्तम संसाधन है, जिससे अपराध पर लगाम लगाई जा सकती है। उन्होंने गर्व जताया कि उनकी छात्रा नम्रता कुमारी ने गढ़वा से निकलकर भारतीय प्रशासनिक सेवा में स्थान बनाया।
वरिष्ठ पत्रकार नित्यानंद दुबे ने कहा कि जब 1 अप्रैल 1991 को गढ़वा जिला बना, तब यह उग्रवाद प्रभावित था। आज बिजली और बुनियादी सुविधाओं में सुधार हुआ है, लेकिन सिंचाई व्यवस्था में अपेक्षित प्रगति नहीं हुई। समाजसेवी दयाशंकर गुप्ता ने गोवावल क्षेत्र को ब्लॉक बनाने की मांग रखी।
प्रमोद सोनी ने गढ़वा की कला और संस्कृति में हुए विकास पर प्रकाश डाला और ‘मेरा गढ़वा महान’ गीत सुनाया। नीरज श्रीधर ने साहित्यिक मंच की आवश्यकता बताई, वहीं अधिवक्ता अशोक पटवा ने शिक्षा सुधार की जरूरत पर बल दिया।
शौकत खान ने कहा कि गढ़वा समाजसेवियों का गढ़ है और यहां लोग प्रशासन के सहयोग से पहले आपस में समाधान खोजने की कोशिश करते हैं। अन्य वक्ताओं में डॉ. लालमोहन मिश्रा, आत्माराम पांडे, पूनम श्री, बृजेश पांडे सहित कई गणमान्य लोग शामिल थे।

गरज उठेगा गगन सारा,
समंदर छोड़ देगा अपना किनारा,
हिल जाएगा जहान सारा,
जब रामनवमी पर गढ़वा में गूंजेगा “जय श्री राम” का नारा।