Location: Garhwa
गढ़वा के दंगल में आदि मध्य और वर्तमान पहलवान के बीच कुश्ती की तैयारी
जिला मुख्यालय गढ़वा से जुड़े गढ़वा विधानसभा चुनाव क्षेत्र के दंगल में उतरने की तैयारी में आदि मध्य और वर्तमान पहलवान कुश्ती में उतारने के लिए नए-नए दाव सीखने में जुट गए हैं।
ताकि अपनी दाव से कुश्ती में उतरने पर सामने वाले पहलवान को पटखनियां दे सकें।
यद्यपि 2024 के गढ़वा विधानसभा की कुश्ती में आदि मध्य काल के पहलवानों का जर्सी का रंग फाइनल नहीं है, पर जर्सी का रंग चाहे जो हो, ठान लिया है की कुश्ती एनी हाउ लड़ना ही है। इसलिए दंगल में उतरने से पहले ही सारा दांव सीख ले ,ताकि समय आने पर इस्तेमाल कर सके।
ऐसे में मतदाता भी आने वाले समय में अभी से शुरू हुई दंगल के पहलवानों की खातिरदारी का लुफ्त उठाने के अंदाज में है, लिहाजा जो भी उनके बीच पहुंच रहा है सबसे पुरानी याद भुलाकर इस कदर गले मिल रहे हैं की पहलवान गदगद हो रहे हैं की चलो कुश्ती के मौके पर दर्शकों का उन्हें ही सपोर्ट मिलेगा। मतदाता भी अपने अंदाज में सबको गले लगाने का स्वांग रचने में इसलिए पीछे नहीं है क्योंकि सभी आजमाए हुए दंगल के पहलवान हैं। चुनाव में समर्थन के समय का तथा चुनाव जीतने के बाद का प्रेम भाव का उन्हें पूरा अनुभव है । लिहाजा जैसे-जैसे चुनाव का समय नजदीक आते जाएगा मतदाताओं की अभी से जो खातिरदारी शुरू हुई है वह और जोर पकड़ेगा मानकर चल रहे है।
खातिरदारी का जोर ऐसा वैसा नहीं पकड़ेगा बल्कि तीनों पहलवानों के प्रति स्पर्धा में तात्कालिक लाभ भी अधिका अधिक उठाने का अवसर भी मिल सकता है, लिहाजा दंगल देखने वाले भी अपने-अपने हिसाब से पहलवानों की समीक्षा अभी से करने लगे हैं।
गढ़वा विधानसभा क्षेत्र के 2024 के इंड के दंगल में यह लगभग संकेत मिल चुका है कि जो तीन महत्वपूर्ण पहलवान उतरने वाले हैं 17, 10 बनाम 5 वाले हीं हैं जिनके बीच की लड़ाई होनी तय है। क्योंकि उन्हें दीख रहा है कि 17 साल तक इस विधानसभा चुनाव क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर चुका पहलवान चुनाव मैदान में अभी से सबसे तेज न केवल दौड़ रहा है बल्कि अपनी पुरानी शैली त्याग कर नवीनतम शैली में सोशल मीडिया की हाईटेक व्यवस्था से लबरेज होकर काफिले में पंचायत- पंचायत पहुंचकर जनता को अपने 17 वर्ष के विधायककी कार्यकाल की दुहाई देकर वर्तमान में फैली भ्रष्टाचार को एक्सपोज कर चुनावी दंगल के परिवर्तन यात्रा के नम पर सजाने में तत्पर हैं , यहां तक की इस बार चुनाव लड़ेगा ही ऐसी कसमें भी खाने में पीछे नहीं रह रहा है। वहीं 10 वर्षा पहलवान भी अपनी चिर परिचित पुरानी नुख्सा को नया स्वरूप देकर गांव -गांव इंटरनल तैयारी में मशगूल हैं। जबकि पचवर्षा पहलवान विकास के पिच पर बैटिंग करने की तैयारी में अभी शाही दरबार सजाकर 17 वर्षा और 10 वर्षा पहलवान की तैयारी को भांपकर 20-20 मैच अंदाज में चौका छक्का का बरसात कर मैदान मार लेने की रणनीति पर काम करने के अंदाज में हैं। ऐसे में जनता इतनी बेवकूफ थोड़े ना है कि 2024 के दंगल में कौन-कौन पहलवान उतरेंगे, इसका उसे अंदाज नहीं है।
रही बात मतदाता का तो बेचारे मतदाता भी मान कर चल रहे हैं कि उनकी दिन दशा जैसी की तैसी ही रहने वाली है। भले ही 17 वर्षा पहलवान हो अथवा 10 वर्षा 5 वर्षा सभी के कार्यकाल में भ्रष्टाचार जो शिष्टाचार का स्वरूप धारण किया है । वह सुरसा की तरह अपना मुंह फैला ही रहा है। विकास के नाम पर सिर्फ सड़क पुल पुलिया का ग्लैमर से आम आदमी की ज़रूरतें पूरी नहीं हो पाती है। आदमी का सरोकार तब तक पूरा नहीं होगी जब तक उनके उसकी जरूरत आसानी से व्यवस्था उपलब्ध करा सके। हालत तो ऐसी है कि आम इंसान को अपनी जरूरत के लिए सरकारी तंत्र से तब तक कोई हक अधिकार प्राप्त नहीं होती जब तक तंत्र में बैठे लोगों को रिश्वत न दे, सर छुपाने के लिए आवास चाहिए तो भी पैसा, जमीन का मोटेशन ऑनलाइन हो तो भी पैसा, यहां तक की जाति निवास दिव्यांग सर्टिफिकेट के लिए भी चढ़ावा देनी पड़ रही है, इस व्यवस्था को कौन कब सुधरेगा मतदाता को इसका इंतजार है।