
Location: रांची
रांची: वोट की राजनीति देश को कहां लेकर जा रही है। इसका उदाहरण पश्चिम बंगाल है। बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने तुष्टिकरण की राजनीति को लेकर पूरे राज्य को आग में झोंक दिया है। दंगाइयों को फ्री छोड़ दिया गया है। पश्चिम बंगाल की हालत चिंताजनक है। वहां हो रही हिंसा और हिंदुओं के पलायन से पूरा देश चिंतित है। बांग्लादेश जैसे हालात पैदा हो गए हैं। लेकिन राज्य सरकार को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। हिंदुओं पर अत्याचार हो रहा है। लोग मारे जा रहे हैं। घर बार सब कुछ छोड़कर भाग रहे हैं।
मुर्शिदाबाद जिले से जो खबरें और तस्वीरें आ रही हैं। वह डरावनी हैं। हालात बयां कर रही हैं। तुष्टिकरण की राजनीति ममता दीदी पर इस तरह हावी हो चुकी है कि वह 33% मुस्लिम वोटों के लिए 67% हिंदुओं की आबादी को दरकिनार कर चुकी हैं। यानी 67% पर 33% भारी है। बंगाल में हो रही हिंसा से देश चिंतित जरूर है। लेकिन ऐसा लगता है कि बंगाल और बंगाली समुदाय इससे चिंतित नहीं है। यदि चिंतित रहती तो हालात ऐसे नहीं होते। आखिर 67% पर 33% क्यों भारी है। ममता दीदी 67 प्रतिशत की चिंता क्यों नहीं करती हैं। वह जानती हैं कि मुस्लिम हमसे दूर जा सकते हैं लेकिन हिंदू दूर नहीं जाएंगे। वह सब कुछ लूटा कर भी तृणमूल के साथ ही रहेंगे। इसलिए ममता दीदी ने हिंदुओं को उनके हालात पर छोड़ दिया हैं। बंगाल में जो अराजकता और हिंसा की स्थिति है इसके लिए हिंदू समाज भी दोषी है। हिंदुओं पर बढ़ रहे अत्याचार पर बंगाल में जिस तरह विरोध होना चाहिए था वह नहीं हो रहा है। विरोध का मतलब हिंसा नहीं है। लेकिन लोकतांत्रिक तरीके से तो विरोध किया जा सकता है। सरकार को जगाया जा सकता है। पर ऐसा कुछ भी देखने सुनने को नहीं मिल रहा है। सिर्फ भाजपा हिंदुओं की लड़ाई अकेले लड़ रही है। पर वहां के लोग भाजपा को भी समर्थन नहीं दे रहे हैं। यह लड़ाई किसी व्यक्ति का नहीं बल्कि राज्य को बचाने का है। सामाजिक समरसता बनी रहे इसके लिए जरूरी है कि बंगाल में जो हिंसा हो रही है उसे पर तत्काल रोक लगाई जाए। सबको इसमें अपनी सहभागिता निभानी होगी।
हिंसा करने वाले भी वफ बिल कानून को ठीक से समझ नहीं रहे हैं। यदि ठीक से समझते तो हिंसा नहीं करते। हिंसा के लिए गुमराह कर उन्हें भड़काया जा रहा है। इसके पीछे राजनीतिज्ञ और मुस्लिम नेताओं का हाथ है। भीड़ को तो मोहरा बनाया जा रहा है। एनआरसी कानून को लेकर भी ऐसा ही माहौल बनाया गया था। लेकिन एनआरसी लागू होने के बाद क्या किसी मुस्लिम समुदाय को नुकसान हुआ। देश से एक भी ऐसा मामला सामने नहीं आया जिससे किसी को नुकसान हुआ हो। जब एनआरसी से कोई नुकसान नहीं हुआ तो वफ कानून से भी नुकसान नहीं होगा। सरकार बार-बार इस बात को दोहरा रही है कि किसी मुस्लिम को डरने की जरूरत नहीं है। इस कानून से कोई नुकसान होने वाला नहीं है। फिर भी यदि हिंसा हो रही है तो यह सोची समझी राजनीति और षड्यंत्र का हिस्सा है। पश्चिम बंगाल अब हाथ से निकल चुका है और इसके लिए जिम्मेदार वहीं के लोग हैं। क्योंकि उन्हें ममता दीदी का शासन ही पसंद है तो फिर अपने हालात पर रहिए। आपकी चिंता सिर्फ देश अकेले क्यों करें।