
Location: Ranka
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चिनियां और रमकंडा में भी बंद पड़ी है आयुष सेवाएं, दवाएं हो रहीं बर्बाद
रंका/गढ़वा। रंका अनुमंडल मुख्यालय स्थित आयुष चिकित्सा केंद्र बीते दो वर्षों से सफाईकर्मी के भरोसे चल रहा है। स्थानीय लोगों के अनुसार केंद्र में पदस्थापित एसीएचओ जितेंद्र कुमार यादव कभी नजर नहीं आते। बताया जाता है कि वे गढ़वा जिला मुख्यालय में निजी नर्सिंग होम संचालित करते हैं, जिसके चलते वे केंद्र में उपस्थिति नहीं दे पाते। यही हाल चिनियां और रमकंडा प्रखंड मुख्यालय स्थित आयुष चिकित्सा केंद्रों का भी है, जहां क्रमशः डॉ. रुखसार परवीन और डॉ. रिजवाना फरहान की अनुपस्थिति के कारण केंद्र अक्सर बंद रहते हैं।
स्थानीय निवासी सुरेश कुमार, बदरूद्दीन आलम, रमेश राम, शत्रुघ्न चौधरी, जगरनाथ राम, राजेश कुमार भुईयां, लखन सिंह, सीताराम सिंह आदि ने बताया कि रंका स्थित केंद्र में मरीजों को डॉक्टर के बजाय सफाईकर्मी रमेश राम ही दवा बांटते हैं। वहीं वही डॉक्टर, कंपाउंडर और परिचारक की भूमिका निभा रहा है। केंद्र खुलने का कोई निश्चित समय नहीं है, और अक्सर बंद ही रहता है।
सूत्रों के अनुसार केंद्र में आ रही लाखों रुपये की दवाएं मनमाने ढंग से बाहर बेची जाती हैं। आरोप है कि आयुष चिकित्सा पदाधिकारियों की मिलीभगत से यह दवाएं कम मूल्य पर बड़े शहरों के विक्रेताओं को बेची जाती हैं। वहीं केंद्र बंद रहने के कारण ग्रामीणों को आयुर्वेदिक इलाज का लाभ नहीं मिल पा रहा है और दवाएं एक्सपायर होकर बर्बाद हो रही हैं।
इस संबंध में जिला आयुष चिकित्सा प्रभारी डॉ. राम नारायण कारक ने कहा कि रंका, चिनियां और रमकंडा केंद्रों के बंद रहने की जानकारी उन्हें नहीं है। जांच कर उचित कार्रवाई की जाएगी।