
Location: Ramana
रमना (गढ़वा):
गढ़वा विधायक अनंत प्रताप देव ने शनिवार को झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मुलाकात कर राज्य की नियुक्ति परीक्षाओं में क्षेत्रीय भाषा चयन को लेकर गढ़वा और पलामू जिलों के युवाओं की चिंताओं से उन्हें अवगत कराया। उन्होंने मांग की कि इन जिलों की प्रमुख भाषाओं—भोजपुरी और मगही—को प्रतियोगी परीक्षाओं की क्षेत्रीय भाषा सूची में शामिल किया जाए।
मुख्यमंत्री को सौंपे गए मांगपत्र में विधायक ने स्पष्ट किया कि शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) के लिए जारी क्षेत्रीय और जनजातीय भाषाओं की सूची में गढ़वा एवं पलामू के लिए कुड़ुख और नागपुरी जैसी भाषाएं चयनित की गई हैं, जबकि इन क्षेत्रों में हिंदी, भोजपुरी और मगही का अधिक प्रचलन है। उन्होंने कहा कि स्थानीय भाषाओं की उपेक्षा से यहां के छात्र-छात्राओं को प्रतियोगी परीक्षाओं में भारी असुविधा हो सकती है।
सीमा क्षेत्र के सामाजिक-सांस्कृतिक पहलू को बताया अहम
विधायक ने बताया कि गढ़वा और पलामू बिहार, उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ से सटे हुए जिले हैं, जहां हिंदी के साथ भोजपुरी और मगही बोलचाल और पठन-पाठन की प्रमुख भाषा रही है। ऐसे में इन भाषाओं को क्षेत्रीय भाषा सूची में स्थान देना छात्रों के हित में होगा और लंबे समय से चल रहे भाषा विवाद को भी शांत किया जा सकेगा।
उन्होंने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि भाषा सूची में शीघ्र संशोधन कर भोजपुरी और मगही को सम्मिलित किया जाए, ताकि गढ़वा और पलामू के अभ्यर्थियों को प्रतियोगिता परीक्षाओं में समान अवसर मिल सके और स्थानीय युवाओं का भविष्य सुरक्षित हो।
यह मांग राज्य के हजारों अभ्यर्थियों की उस भावना को दर्शाती है जो वर्षों से अपने सांस्कृतिक और भाषाई अधिकारों के लिए संघर्षरत हैं।