Location: Dhurki
धुरकी प्रखंड सहित अन्य जगहों पर गर्मी के मौसम आते ही तेंदू पत्ता (बीड़ी पत्ता) की पैदावार सुरक्षित जंगलों में शुरू हो जाती है, प्रखंड के लोगों को यह गरीब परिवार के लिए आय का एक अच्छा जरिया है
इससे ग्रामीणों को अच्छी खासी कमाई हो जाती है तेंदू पत्ता की तुड़ाई से दस से पंद्रह दिनों तक चलता है जिससे प्रखंड के दस हजार से अधिक मजदूरो को रोजगार भी उपलब्ध हो जाता है गौरतलब हो की मई महीने के शुरुआत से ही तेंदू पत्ता के तुड़ाई के लिए ग्रामीण सुरक्षित जंगलों में सक्रिय हो जाते है,और इस तेंदू पत्ता की तुड़ाई के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में पूरा परिवार जुटता है ।
खासकर तेंदू पत्ता आदिवासीयों को सबसे ज्यादा रोजगार और आर्थिक रूप से सक्षम बनाता है, तेंदू पत्ता से होने वाला आमदनी सोने चांदी के व्यापार से होने वाला आमदनी के बराबर होती है,वजह यही है की इस तेंदू पत्ता को हरा सोना भी कहते है, पुरुषो की तुलना में महिलाएं ही इस कार्य में ज्यादा दिलचस्पी रखती है,महिलाएं तेंदू पत्ता तोड़ाई में समय भी कम लेती है और पत्ते भी ज्यादा तोड़ती है, जिस घर में अधिक महिलाएं होती है वे और भी ज्यादा पत्ते तोड़ लेती है, सुबह होते ही परिवार के बड़े सदस्य जहां तेंदूपत्ता तोड़ने के लिए जंगल तरफ निकल जाते है वही परिवार के अन्य सदस्य पत्तो को गडी बनाने में लगे होते है,ज्ञात हो की इस तेंदू पत्ते से बीड़ी तैयार की जाती है सबसे पहले इन पत्तो को जंगलों से तोड़ कर लाया जाता है इसके बाद पत्तो को पोला बनाकर गडी के समान तैयार कर सुखाया जाता है इसकी मांग देश के कई हिस्सों में होती है।
इस कार्य में लगे मजदूरों ने बताया की दस से पंद्रह दिनों तक का रोजगार मिल जाता है और एक आदमी को पांच से दस हजार तक का आमदनी हो जाता है,उन्होंने बताया की सुबह सुबह जंगल चले जाते है और दोपहर में घर वापस आ जाते है और फिर पूरा परिवार खाना खा कर पोला बनाकर तैयार करते है, शाम को ठेकेदार द्वारा खोले गए खलिहान में बेच आते है जिससे हमलोग का बरसात का खर्च भी आ जाता है।
तेंदू पत्ता का तुड़ाई के लिए वन विभाग निविदा निकालती है जिससे बड़े बड़े ठिकेदार निविदा को लेते है और उसके बाद जंगलों से पत्ते की तुड़ाई मजदूरों के द्वारा कराई जाती है जिससे मजदूरों को रोजगार भी मिल जाता जाता है और सरकार की राजस्व भी प्राप्त हो जाता है साथ ही जंगल के निविदा लेने वाले ठेकेदार भी मुनाफा कमा लेते है।
धुरकी प्रखंड सहित अन्य जगहों पर गर्मी के मौसम आते ही तेंदू पत्ता (बीड़ी पत्ता) की पैदावार सुरक्षित जंगलों में शुरू हो जाती है, प्रखंड के लोगों को यह गरीब परिवार के लिए आय का एक अच्छा जरिया है।
इससे ग्रामीणों को अच्छी खासी कमाई हो जाती है तेंदू पत्ता की तुड़ाई से दस से पंद्रह दिनों तक चलता है जिससे प्रखंड के दस हजार से अधिक मजदूरो को रोजगार भी उपलब्ध हो जाता है गौरतलब हो की मई महीने के शुरुआत से ही तेंदू पत्ता के तुड़ाई के लिए ग्रामीण सुरक्षित जंगलों में सक्रिय हो जाते है,और इस तेंदू पत्ता की तुड़ाई के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में पूरा परिवार जुटता है खासकर तेंदू पत्ता आदिवासीयों को सबसे ज्यादा रोजगार और आर्थिक रूप से सक्षम बनाता है, तेंदू पत्ता से होने वाला आमदनी सोने चांदी के व्यापार से होने वाला आमदनी के बराबर होती है,वजह यही है की इस तेंदू पत्ता को हरा सोना भी कहते है, पुरुषो की तुलना में महिलाएं ही इस कार्य में ज्यादा दिलचस्पी रखती है,महिलाएं तेंदू पत्ता तोड़ाई में समय भी कम लेती है और पत्ते भी ज्यादा तोड़ती है, जिस घर में अधिक महिलाएं होती है वे और भी ज्यादा पत्ते तोड़ लेती है, सुबह होते ही परिवार के बड़े सदस्य जहां तेंदूपत्ता तोड़ने के लिए जंगल तरफ निकल जाते है वही परिवार के अन्य सदस्य पत्तो को गडी बनाने में लगे होते है,ज्ञात हो की इस तेंदू पत्ते से बीड़ी तैयार की जाती है सबसे पहले इन पत्तो को जंगलों से तोड़ कर लाया जाता है इसके बाद पत्तो को पोला बनाकर गडी के समान तैयार कर सुखाया जाता है इसकी मांग देश के कई हिस्सों में होती है।
इस कार्य में लगे मजदूरों ने बताया की दस से पंद्रह दिनों तक का रोजगार मिल जाता है और एक आदमी को पांच से दस हजार तक का आमदनी हो जाता है,उन्होंने बताया की सुबह सुबह जंगल चले जाते है और दोपहर में घर वापस आ जाते है और फिर पूरा परिवार खाना खा कर पोला बनाकर तैयार करते है, शाम को ठेकेदार द्वारा खोले गए खलिहान में बेच आते है जिससे हमलोग का बरसात का खर्च भी आ जाता है।
तेंदू पत्ता का तुड़ाई के लिए वन विभाग निविदा निकालती है जिससे बड़े बड़े ठिकेदार निविदा को लेते है और उसके बाद जंगलों से पत्ते की तुड़ाई मजदूरों के द्वारा कराई जाती है जिससे मजदूरों को रोजगार भी मिल जाता जाता है और सरकार की राजस्व भी प्राप्त हो जाता है साथ ही जंगल के निविदा लेने वाले ठेकेदार भी मुनाफा कमा लेते है।