Location: Garhwa
झारखंड विधानसभा चुनाव में इस बार पलामू प्रमंडल की नौ सीटों पर चुनावी मुकाबला काफी दिलचस्प होता जा रहा है। इंडिया गठबंधन और एनडीए के बीच सीधे मुकाबले में इस बार कुछ बागी और निर्दलीय प्रत्याशियों ने मोर्चा खोल दिया है, जिससे दोनों गठबंधनों के समीकरण प्रभावित हो रहे हैं।
भाजपा की पूरी ताकत
भाजपा ने पलामू प्रमंडल की सभी 9 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे हैं, जिससे साफ संकेत है कि पार्टी इस क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत बनाए रखना चाहती है। एनडीए अपने पारंपरिक वोट बैंक पर भरोसा करते हुए क्षेत्र में विकास के मुद्दे को आगे रख रही है। भाजपा का क्षेत्र में पुराना जनाधार इसे एनडीए के लिए मजबूत स्थिति में ला सकता है।
इंडिया गठबंधन की रणनीति और सीट बंटवारा
इंडिया गठबंधन ने इस बार पलामू प्रमंडल में झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM), कांग्रेस और राजद के बीच सीटों का बंटवारा किया है।
झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM): गढ़वा, लातेहार, और भवनाथपुर में चुनाव लड़ रही है, जहां उनके मंत्रियों की उपस्थिति और प्रचार गतिविधियाँ मजबूत स्थिति बनाने की कोशिश कर रही हैं।
कांग्रेस: पांकी, मनिका, और डाल्टनगंज पर चुनावी मैदान में है। डाल्टनगंज को छोड़कर अन्य सीटों पर कांग्रेस की स्थिति कमजोर मानी जा रही है।
राजद: हुसैनाबाद और बिश्रामपुर से चुनाव लड़ रही है, जिसमें बिश्रामपुर में कांग्रेस के साथ दोस्ताना संघर्ष का माहौल है।
बागी और निर्दलीय प्रत्याशियों की भूमिका
इंडिया और एनडीए गठबंधन के लिए इस चुनाव में बागी और निर्दलीय उम्मीदवार बड़ी चुनौती बनते दिख रहे हैं:
बिट्टू सिंह (कांग्रेस के बागी उम्मीदवार): कांग्रेस से बागी होकर चुनाव लड़ रहे हैं, जिससे पार्टी की स्थिति कमजोर हो रही है।
गिरीनाथ सिंह (गढ़वा से सपा प्रत्याशी): अपने प्रत्याशिता से इंडिया गठबंधन के समीकरणों को चुनौती दे रहे हैं।
शिवपूजन मेहता (हुसैनाबाद से बसपा प्रत्याशी): बसपा की ओर से हुसैनाबाद में चुनाव लड़ रहे हैं और गठबंधन के समीकरणों को प्रभावित कर सकते हैं।
दिलीप सिंह नामधारी (डाल्टनगंज से निर्दलीय): निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव में उतर कर कांग्रेस के लिए चुनौती बन रहे हैं।
ममता भुईयां (छतरपुर से सपा प्रत्याशी): छतरपुर सीट पर सपा की ममता भुईयां दोनों गठबंधनों के लिए चुनौती बन रही हैं। उनका समर्थन और लोकप्रियता दोनों दलों के लिए एक नया समीकरण उत्पन्न कर सकती है, जिससे इंडिया और एनडीए गठबंधन को चुनाव में मुश्किलें आ सकती हैं।
जातीय समीकरण और बुनियादी मुद्दे
पलामू प्रमंडल में जातीय समीकरण इस चुनाव में निर्णायक भूमिका निभा रहे हैं। भाजपा ने अपने पारंपरिक वोट बैंक पर जोर दिया है, वहीं इंडिया गठबंधन विकास और जनता की समस्याओं पर फोकस कर रहा है। रोजगार, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी बुनियादी समस्याएँ इस चुनाव में मतदाताओं के निर्णय को प्रभावित कर सकती हैं।
इस बार पलामू प्रमंडल की 9 सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबले का संकेत मिलता है, जिसमें एनडीए, इंडिया गठबंधन और बागी-निर्दलीय उम्मीदवार एक-दूसरे को कड़ी टक्कर दे रहे हैं। भाजपा अपने मजबूत आधार पर भरोसा कर रही है, जबकि इंडिया गठबंधन विभिन्न मुद्दों और गठबंधन की ताकत से मैदान में है। ममता भुईयां जैसी सपा उम्मीदवार के क्षेत्र में उतरने से दोनों प्रमुख गठबंधनों के लिए चुनौती और भी बढ़ गई है, जिससे यह चुनाव और भी दिलचस्प हो गया है।