Location: Garhwa
पलामू प्रमंडल की 9 सीटों में से2019 में पांच सीटों (कमलेश सिंह को आने से छह सीट) पर कब्जा जमाने वाली भाजपा के लिए इस बार अपनी पकड़ को बरकरार रखना चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है। विभिन्न गुटों में टिकट बंटवारे को लेकर असंतोष की स्थिति बन गई है। कई नेता और कार्यकर्ता भले ही खुलकर विरोध नहीं कर रहे हैं, लेकिन भीतरघात की तैयारी में जुटे हैं, जिससे पलामू में पिछले प्रदर्शन से भी बेहतर करने कि उम्मीद लगाए बैठि भाजपा की स्थिति कमजोर हो सकती है।
भाजपा ने इस बार भी हुसैनाबाद को छोड़कर प्रमंडल की बाकी सभी 8 सीटों पर अपने पुराने प्रत्याशियों को मैदान में उतारा है भवनाथपुर: भानु प्रताप शाही,गढ़वा: सत्येंद्र नाथ तिवारी,विश्रामपुर: रामचंद्र चंद्रवंशी,डाल्टनगंज: आलोक चौरसिया
हुसैनाबाद: कमलेश सिंह,छतरपुर: पुष्पा देवी,लातेहार: प्रकाश राम,मनिका: हरे कृषण सिंह तथा पांकि शशि भूषण मेहता
इन प्रत्याशियों में से कई के खिलाफ खुद पार्टी के भीतर असंतोष बढ़ रहा है। गढ़वा विधानसभा क्षेत्र जहां पर भाजपा काफी मजबूत दिख रही है,वहां भि सत्येंद्र नाथ तिवारी के खिलाफ स्थानीय नेताओं की नाराजगी दिख रही है। पार्टी के कुछ नेता, जो पहले छोटे-छोटे कार्यक्रमों में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते थे, अब चुनाव कार्यालय के उद्घाटन जैसे प्रमुख आयोजनों से जिसका उद्गाघाटन खुद केंद्रीय कोयला एवं खान मंत्री सतीश चंद्र दुबे कर रहे थे उसमें भीनहि दिख रहे हैं। यह संकेत है कि पार्टी के भीतर कुछ ठीक नहीं चल रहा है।
हुसैनाबाद में कमलेश सिंह को उम्मीदवार बनाए जाने से वहां भी पार्टी के भीतर असंतोष गहराता जा रहा है। वहीं, विश्रामपुर और डाल्टनगंज में भी भीतरघात का खतरा मंडरा रहा है। अगर भाजपा समय रहते इन अंदरूनी गुटबाजियों को नहीं संभाल पाई, तो 2019 के प्रदर्शन को दोहराना मुश्किल हो सकता है।
पलामू प्रमंडल में भाजपा की स्थिति इस बार अस्थिर दिख रही है। टिकट बंटवारे को लेकर असंतोष और भीतरघात की संभावनाओं से पार्टी को गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। यदि यह स्थिति चुनाव तक बनी रही, तो भाजपा के लिए इन सीटों को बरकरार रखना आसान नहीं होगा।