Location: Garhwa
गढ़वा: अगले कुछ महीनो में होनेवाली विधानसभा चुनाव में लोकसभा चुनाव में अपेक्षित सफलता नहीं मिलने से राजनीतिक रूप से दबाव में आई भाजपा भले ही झारखंड में चुनाव जीतने के दावा कर रही है परंतु राज्य में भाजपा जिला अध्यक्षों की घोषणा हुए कारीब छह माह गुजर गए ,परंतु भाजपा ने झारखंड के किसी भी जिलों में जिला कमिटीयों तक की गठन नहीं कर पाई है। ऐसे में संगठन के बल पर चुनाव जीतने की भाजपा की दावे की हकीकत क्या है ,इसका आकलन किया जा सकता है।
लोकसभा चुनाव में भाजपा के शीर्षास्थ नेताओं ने 400 पार का नारा देकर केंद्र में मजबूत सरकार की सपना संजोए थे, जो सपना 240 सीटों पर आकर अटक कर धारासायी हो चुकी है। बावजूद झारखंड में सरकार बनाने के लिए भाजपा ऊपरी तौर पर तो खूब हवाबाजी कर रही है ,परंतु जमीनी हकीकत यही है कि झारखंड में अंदरूनी लड़ाई अथवा गुटबाजी के कारण भाजपा विगत छह माह में जिला अध्यक्षों को मनोनीत करने से आगे संगठन का विस्तार नहीं कर सकी है।तात्पर्य यह की जिला अध्यक्षों की घोषणा तो राज्य इकाई द्वारा कर दिया गया, परंतु जिला कमेटी प्रखंड कमेटी एवं विभिन्न मोर्चा का गठन अभी तक भाजपा की ओर से नहीं किया जा सका है। ऐसे में भाजपा का झारखंड जीतने का दाव कहीं हवा हवाई साबित ना हो जाए।
हालांकि यह बात सच है कि अगले अक्टूबर नवंबर माह में जिन चार राज्यों में चुनाव होने की चर्चा है उसमें महाराष्ट्र हरियाणा जम्मू कश्मीर तथा झारखंड शामिल है। इसमें से झारखंड को छोड़कर शेष तीन राज्यों पर भाजपा खुद को भी सरकार बनाने की मानसिकता में नहीं दीख रही है। लिहाजा भाजपा ने सारा ध्यान झारखंड की ओर केंद्रित कर रखा है। इसका आकलन इससे भी किया जा सकता है कि भाजपा ने यहां जहां एक और फायर ब्रांड हिंदू नेता असम के मुख्यमंत्री हेमंत विश्व सरमा को राज्य का सह प्रभारी तथा संगठन एवं सरकार चलाने में काफी अनुभव रखने वाले केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान को झारखंड का प्रभारी बनाया है । स्वयं अमित शाह कल ही रांची में आकर चुनावी शंखनाद कर चुके हैं। इससे साफ जाहिर होता है कि भाजपा ऊपरी तौर पर झारखंड में चुनाव जीतने की तैयारी में बड़ी जोर शोर से लगी है, परंतु जमीन पर स्थिति यही है कि भाजपा जिला अध्यक्षों की घोषणा करने के लगभग 6 माह गुजर गया बावजूद अब तक जिला कमेटी तक का गठन नहीं कर पाई है।