गढ़वा की राजनीति में एक बार फिर पुराने चेहरे नए कलेवर में चुनावी रणभूमि में उतरने को तैयार हैं। 2014 के बाद बीते दस वर्षों में यहां के राजनीतिक समीकरण बदल चुके हैं, और यह चुनाव पहले से कहीं अधिक दिलचस्प हो गया है।
मिथिलेश कुमार ठाकुर: सत्तारूढ़ पार्टी का भरोसा
वर्तमान विधायक और झारखंड सरकार में मंत्री, मिथिलेश कुमार ठाकुर इस बार मजबूत दावेदारी के साथ चुनाव में उतरने की तैयारी कर रहे हैं। पिछले पांच वर्षों में उनके काम और झारखंड की सत्तारूढ़ पार्टी का समर्थन उन्हें एक मजबूत उम्मीदवार बनाता है। उनका आत्मविश्वास और पार्टी का भरोसा यह संकेत देता है कि वे चुनाव जीतने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। उनका पिछले पांच साल का प्रदर्शन और उनका कद्दावर मंत्री के रूप में उभरना उन्हें एक मज़बूत प्रतिस्पर्धी बनाता है।
सत्येंद्रनाथ तिवारी: विपक्ष के मजबूत दावेदार
सत्येंद्र नाथ तिवारी, जिन्होंने 2009 में झारखंड विकास मोर्चा के टिकट पर चुनाव जीतकर एक चौंकाने वाली जीत हासिल की थी, 2019 में पराजित हुए थे। हालांकि, इस हार के बाद वे विपक्ष की भूमिका में बेहद सक्रिय रहे और क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत बनाए रखी। इस बार तिवारी भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ेंगे, और उनका आक्रामक अंदाज उन्हें एक मजबूत दावेदार बनाता है। गढ़वा में पांच साल तक विपक्ष के रूप में काम करने से उनकी राजनीतिक जमीन और मजबूत हो गई है, जो उनके लिए एक बड़ी पूंजी साबित हो सकती है।
गिरिनाथ सिंह: परिवर्तन का नारा
तीसरे प्रमुख चेहरा, गिरिनाथ सिंह, जो 2009 और 2014 के चुनाव हारने के बाद 2019 में चुनावी मैदान से किनारा कर चुके थे, इस बार फिर से जोर-शोर से मैदान में उतरने की तैयारी में हैं। वे परिवर्तन का नारा देकर अपने समर्थकों को जुटा रहे हैं। राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के आधार मतदाताओं में उनकी मजबूत पकड़ है, खासकर पिछड़े वर्ग, दलित, और अल्पसंख्यक समुदायों के बीच। हालांकि, इस बार उनकी सबसे बड़ी चुनौती यह है कि वे किस पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ेंगे, यह अभी तय नहीं है।
बदलते समीकरण
इस बार गढ़वा विधानसभा चुनाव में तीनों प्रमुख उम्मीदवार एक-दूसरे के आमने-सामने होंगे, लेकिन उनकी राजनीतिक परिस्थितियां 2014 की तुलना में काफी बदल चुकी हैं। जहां मिथिलेश ठाकुर सत्तारूढ़ पार्टी के समर्थन और अपने काम के भरोसे मैदान में हैं, वहीं सत्येंद्र नाथ तिवारी विपक्ष के आक्रामक नेता के रूप में उभरे हैं। गिरिनाथ सिंह का ‘परिवर्तन’ का नारा उन्हें एक नए रणनीतिकार के रूप में सामने ला रहा है।
इस तरह, गढ़वा की राजनीति में 2024 का चुनाव एक दिलचस्प दंगल बनने जा रहा है, जहां मतदाताओं को यह देखना होगा कि पुराने चेहरों में से कौन नया दांव आजमाएगा और कौन इस बार बाजी मारेगा।