गढ़वा में इस बार का विधानसभा चुनाव भ्रष्टाचार, कमीशनखोरी, और बालू की कालाबाजारी जैसे मुद्दों पर केंद्रित है। मंत्री मिथिलेश कुमार ठाकुर, जो दूसरी बार जीत के लिए जोर-शोर से मैदान में हैं, विकास के मुद्दों को प्रमुखता से उठा रहे हैं। दूसरी ओर, भाजपा प्रत्याशी सत्यनाथ तिवारी और समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी गिरिनाथ सिंह सहित अन्य विपक्षी नेता मंत्री ठाकुर के कार्यकाल में हुए विकास को भ्रष्टाचार, कमीशनखोरी और बालू की कालाबाजारी के आरोपों से घेरने में लगे हुए हैं।
बालू की कालाबाजारी और बढ़ती कीमतें
गढ़वा में बालू की कालाबाजारी चुनावी बहस का मुख्य मुद्दा बना हुआ है। आरोप है कि मौजूदा सरकार के कार्यकाल में बालू की कीमतें 500 रुपये से बढ़कर 5000 रुपये प्रति ट्रैक्टर तक पहुँच गई हैं। अवैध खनन और काला बाजारी के चलते निर्माण कार्य भी प्रभावित हो रहे हैं, जिससे जनता में गुस्सा है। विपक्ष इसे सरकार की विफलता के रूप में पेश कर रहा है और इस मुद्दे पर जोर दे रहा है।
मनरेगा में भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी
मनरेगा योजना में बड़े पैमाने पर कमीशनखोरी के आरोप लगाए गए हैं, खासकर कुआं निर्माण जैसे कार्यों में। आरोप है कि मजदूरों को उनकी मेहनत की पूरी राशि नहीं मिल रही है, जिससे किसानों और मजदूरों में असंतोष है। इस भ्रष्टाचार के मुद्दे को विपक्ष जनता के सामने प्रमुखता से रख रहा है।
सरकारी दस्तावेज़ में घूसखोरी
गढ़वा में म्यूटेशन, दाखिल-खारिज, और नामांतरण जैसी प्रक्रियाओं में घूसखोरी के आरोप भी जनता के आक्रोश का कारण बने हुए हैं। सरकारी दफ्तरों में रिश्वतखोरी के चलते गरीब जनता को बार-बार परेशान होना पड़ रहा है। विपक्ष इसे सत्ताधारी दल के खिलाफ बड़ा मुद्दा बना रहा है।
आवास निर्माण में कमीशनखोरी
आवास योजनाओं में भी कमीशनखोरी के आरोप लगे हैं, जिससे गरीब वर्ग को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा। यह भ्रष्टाचार जनता में सत्ताधारी दल के प्रति असंतोष बढ़ा रहा है, जिसे विपक्ष अपने पक्ष में भुनाने की कोशिश कर रहा है।
कानून व्यवस्था की गंभीर स्थिति
गढ़वा में बढ़ते अपराध और कानून व्यवस्था की स्थिति भी जनता के बीच चिंता का विषय बनी हुई है। स्थानीय प्रशासन की निष्क्रियता के चलते सुरक्षा एक प्रमुख मुद्दा है, और विपक्ष इसे लेकर सत्ताधारी दल पर सवाल खड़ा कर रहा है।
सरकारी कार्यालयों में कमीशनखोरी का बोलबाला
सामान्य सरकारी सेवाओं के लिए भी रिश्वत देना अब एक आम बात हो गई है। स्थानीय लोग शिकायत करते हैं कि हर छोटे-बड़े काम के लिए रिश्वत मांगी जाती है। जनता इस भ्रष्टाचार से मुक्ति चाहती है और नेताओं से जवाबदेही की उम्मीद कर रही है।
बेरोजगारी और पलायन
क्षेत्र के युवा रोजगार की कमी से परेशान हैं, और मजबूरी में पलायन कर रहे हैं। बेरोजगारी इस चुनाव में एक बड़ा मुद्दा बना हुआ है, जिसे विपक्ष सत्ताधारी दल की नीतियों की असफलता के रूप में पेश कर रहा है।
विकास के दावे
मंत्री मिथिलेश कुमार ठाकुर ने विकास को अपने प्रचार का मुख्य हिस्सा बना रखा है। वे गढ़वा में नीलांबर-पीतांबर नगर भवन और अबुआ आवास योजना मइयां सम्मान योजनासड़क निर्माण जैसी परियोजनाओं का जिक्र करते हैं, जिससे मतदाता उनके पक्ष में दिख रहे हैं। लेकिन जनता की नाराजगी भ्रष्टाचार, कमीशनखोरी और बालू की समस्याओं को लेकर इतनी गहरी है कि वे विकास के इन दावों पर संदेह कर रहे हैं। विपक्ष इस नाराजगी को भुनाने के लिए विकास के इन दावों को चुनावी वादों तक सीमित बताकर आलोचना कर रहा है।
गढ़वा में भ्रष्टाचार, बालू कालाबाजारी, और कमीशनखोरी ने इस बार के चुनाव को रोचक बना दिया है। अब देखना यह है कि जनता विकास के दावों पर विश्वास करती है या भ्रष्टाचार और महंगाई के खिलाफ बदलाव की ओर जाती है।