Location: Garhwa
गढ़वा के जिला मुख्यालय स्थित सदर अस्पताल में मरीजों के साथ हो रहा धोखा प्रशासन और प्रबंधन की मौन स्वीकृति से जारी है। यहां ग्रामीण क्षेत्रों के स्वास्थ्य उपकेंद्रों से रेफर होकर आने वाले मरीजों को विशेषज्ञ चिकित्सकों के बजाय होम्योपैथिक चिकित्सकों के द्वारा इलाज कराया जा रहा है।
सदर अस्पताल में होम्योपैथी की डिग्रीधारी चिकित्सक, एलोपैथिक दवाएं लिखकर मरीजों का इलाज कर रहे हैं। गुरुवार को इमरजेंसी सेवा में डॉ. नौशाद आलम की ड्यूटी थी, लेकिन उनकी अनुपस्थिति में आरबीएसके (राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम) के चिकित्सक डॉ. जेपी ठाकुर मरीजों का इलाज कर रहे थे।
क्या है मामला:
डॉ. जेपी ठाकुर, जो होम्योपैथी डिग्रीधारी हैं, एलोपैथिक दवाएं लिखकर मरीजों का इलाज कर रहे थे।
मरीजों को समुचित डाइग्नोसिस के अभाव में गंभीर खतरे का सामना करना पड़ रहा है।
प्रबंधन और जिला प्रशासन इस अवैध गतिविधि पर मौन साधे हुए हैं।
प्रबंधन की चुप्पी:
सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ. हरेनचंद्र महतो से संपर्क करने का प्रयास किया गया, लेकिन उन्होंने फोन कॉल रिसीव नहीं किया। सिविल सर्जन डॉ. अशोक कुमार मुख्यालय से बाहर बताए गए।
प्रभारी मैनेजर की प्रतिक्रिया:
सदर अस्पताल के प्रभारी मैनेजर एसएम त्रिपाठी ने ड्यूटी पर तैनात चिकित्सक की अनुपस्थिति के सवालों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।
ग्रामीणों की विवशता:
इलाज के अभाव और विशेषज्ञ डॉक्टरों की अनुपस्थिति के कारण मरीजों को ऐसे चिकित्सकों से इलाज कराने को मजबूर होना पड़ रहा है। यह स्थिति न केवल चिकित्सा मानकों के खिलाफ है बल्कि मरीजों की जान के लिए भी बड़ा खतरा बन रही है।
निष्कर्ष:
सदर अस्पताल में अव्यवस्था और लापरवाही की स्थिति गंभीर चिंता का विषय है। स्थानीय प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग को इस मामले में त्वरित हस्तक्षेप करना चाहिए ताकि मरीजों की सुरक्षा सुनिश्चित हो और जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई हो सके।