Location: Garhwa
गढ़वा और भवनाथपुर विधानसभा चुनावों ने इस बार कई दिलचस्प संदेश दिए। गढ़वा में मंत्री मिथिलेश कुमार ठाकुर और भवनाथपुर में भानु प्रताप शाही के खिलाफ एंटी-इनकंबेंसी फैक्टर ने मतदाताओं की सोच को स्पष्ट किया। इन दोनों सीटों पर सत्येंद्र नाथ तिवारी (गढ़वा) और अनंत प्रताप देव (भवनाथपुर) की जीत ने साफ कर दिया कि जनता अब केवल संघर्षशील और जमीन से जुड़े नेताओं को ही महत्व देती है।
गढ़वा: पैसे की राजनीति नहीं, अहंकार रहित प्रतिनिधि को वरीयता
गढ़वा विधानसभा क्षेत्र में मंत्री मिथिलेश कुमार ठाकुर ने पैसे और सत्ता के प्रभाव का खुला प्रदर्शन किया। उन्होंने भाजपा के बड़े नेताओं को अपने पक्ष में लाकर विरोधी खेमे में हलचल मचाई, जिससे भाजपा के लिए यह क्षेत्र चुनौतीपूर्ण दिखने लगा। लेकिन यहां के मतदाताओं ने स्पष्ट कर दिया कि उन्हें खरीदना आसान नहीं।
जनता ने मिथिलेश ठाकुर की हाई-प्रोफाइल रणनीतियों और सत्ता प्रदर्शन के मुकाबले सत्येंद्र नाथ तिवारी की संघर्ष को प्राथमिकता दी। इस चुनाव ने दिखाया कि गढ़वा के लोग अहंकार रहित, आसानी से उपलब्ध रहने वाले और जनता के मुद्दों पर खड़े होने वाले प्रतिनिधि चाहते हैं।
भवनाथपुर: संघर्ष का फल
भवनाथपुर में अनंत प्रताप देव की जीत एक मजबूत संदेश है कि संघर्ष और जनता से जुड़ाव का महत्व आज भी कायम है। नगर ऊंटारी गढ़ परिवार से जुड़े अनंत प्रताप देव ने 2014 में हार के बावजूद अपने क्षेत्र में लगातार काम किया। इसलिए मतदाताओं के बीच उनके प्रति सहानुभूति और विश्वास पैदा किया। परिणामस्वरूप, जनता ने इस बार उनके पक्ष में वोट दिया और उनकी मेहनत को सराहा।
नया दौर, नई राजनीति
गढ़वा और भवनाथपुर के नतीजे यह साबित करते हैं कि मतदाता अब पैसे और पावर पॉलिटिक्स से ऊपर उठकर अपनी समझदारी से निर्णय ले रहे हैं। गढ़वा ने यह संदेश दिया है कि वीआईपी कल्चर नहीं, बल्कि जनता के मुद्दों पर संघर्ष करने वाले ही जनता का भरोसा जीत सकते हैं।