Location: Garhwa
गढ़वा और भवनाथपुर विधानसभा चुनाव में इस बार का मुकाबला बेहद रोचक हो गया है। दोनों ही क्षेत्रों में उम्मीदवारों की संख्या, उनकी रणनीतियाँ और प्रचार के तरीके मतदाताओं का ध्यान खींच रहे हैं। गढ़वा में 20 और भवनाथपुर में 17 प्रत्याशी मैदान में हैं, जिससे मुकाबला बहुकोणीय हो गया है। भाजपा और झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) मुख्य प्रतिद्वंद्वी हैं, लेकिन बहुजन समाज पार्टी (बसपा) आईएमएमऔर समाजवादी पार्टी (सपा) की उपस्थिति से यह लड़ाई और भी पेचीदा हो गई है।
गढ़वा में भाजपा और झामुमो के बीच पारंपरिक मुकाबले में बसपा एआईएमएम और सपा की एंट्री ने इसे चतुष्कोणीय बना दिया है। भाजपा का परंपरागत आधार और झामुमो का क्षेत्रीय जनाधार इस बार चुनौतीपूर्ण साबित हो सकते हैं, क्योंकि बसपा एआईएमएम और सपा भी मजबूत दावेदारी कर रही हैं। प्रत्याशी गाँवों में जनसंपर्क अभियान, नुक्कड़ सभाएँ और स्थानीय मुद्दों पर फोकस कर रहे हैं। इस बार गढ़वा के 2,13,618 पुरुष और 2,14,890 महिला मतदाता इस चुनाव में निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं।
भवनाथपुर में भी भाजपा और झामुमो के बीच का मुख्य मुकाबला बसपा और सपा की उपस्थिति से और दिलचस्प हो गया है। भाजपा अपने मजबूत संगठन और समर्थन आधार का लाभ उठा रही है, जबकि झामुमो अपनी क्षेत्रीय लोकप्रियता पर निर्भर है। बसपा दलित मतदाताओं को साधने का प्रयास कर रही है और सपा ग्रामीण मतदाताओं में अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश में लगी है। भवनाथपुर के 2,26,547 पुरुष और 2,51,000 महिला मतदाता इस बार बड़ी भूमिका निभा सकते हैं, खासकर महिला सशक्तिकरण और विकास से जुड़े मुद्दों के कारण।
गढ़वा और भवनाथपुर के अधिकतर ग्रामीण क्षेत्रों में सड़क, बालु का कालाबजारी, भ्रष्टाचार, पानी और स्वास्थ्य सेवाओं की कमी है, और इन बुनियादी मुद्दों को हल करने के वादे चुनावी घोषणाओं में प्रमुखता से रखे गए हैं। जातिगत समीकरण भी इस चुनाव में महत्वपूर्ण हैं, जहां बसपा दलित वोटरों को और सपा पिछड़े वर्गों को साधने की कोशिश कर रही है। सभी पार्टियाँ महिला मतदाताओं को लुभाने के लिए उनसे जुड़े मुद्दों और नीतियों पर जोर दे रही हैं।
इन चुनावों का परिणाम इस बात पर निर्भर करेगा कि कौन सा प्रत्याशी मतदाताओं के असली मुद्दों को समझ कर सटीक समाधान देने का भरोसा जगा पाता है। चुनाव परिणाम न केवल इन क्षेत्रों की राजनीतिक दिशा तय करेंगे, बल्कि यह भी संकेत देंगे कि झारखंड के ग्रामीण मतदाताओं का बदलता रुझान किस ओर जा रहा है।