Location: रांची
रांची: तीन दिन पहले मैने आपको बताया था कि मंत्री नहीं बनाए जाने से कांग्रेस के कई विधायक नाराज हैं. कांग्रेस के अंदरखाने सबकुछ ठीकठाक नहीं है. आग सुलग रही है. कभी भी भड़क सकती है. कांग्रेस विधायकों की नाराजगी की खबर आलाकमान तक पहुंच चुकी है. पार्टी अब डैमेज कंट्रोल में जुट गई है. इसी के तहत प्रदीप यादव को विधायक दल का नेता, राजेश कच्छप को उप नेता व अनूप सिंह को मुख्य सचेतक बनाया गया है. तीन विधायकों को कुछ न कुछ पद देकर संतुष्ट करने की कोशिश की गई है. लेकिन नाराज विधायक लालीपाप से बहुत संतुष्ट नहीं हैं. इन विधायकों को पता है कि मंत्री बनना और सचेतक व उप नेता बनने में क्या फर्क है. इससे क्या हासिल होने वाला है. जनता का कितना काम कर पाएंगे. कांग्रेस नेतृत्व ने आग बुझाने की कोशिश की है. लेकिन जानकार सूत्रों का कहना है इस तरह से आग नहीं बुझेगी. कुछ समय के लिए आंच मद्धिम पड़ जाएगी, पर बुझने वाली नहीं है. तीन विधायकों को तो पद दे दिया गया लेकिन अन्य नाराज विधायकों को अभी भविष्य से लिए सिर्फ भरोसा दिया गया है.
कांग्रेस में जिस तरह बेरमो विधायक अनूप सिंह की उपेक्षा हुई है, इससे इनके समर्थकों में भी निराशा व गुस्सा है. अनूप सिंह अपने समर्थकों को समझाने में जुटे हुए हैं. यही हाल नाराज अन्य विधायकों की भी है. बहरलहाल कांग्रेस विधायकों की नाराजगी भविष्य में क्या गुल खिलाएगी यह देखना होगा.
. इधर. मंत्रिमंडल गठन के बाद से झामुमो में भी नाराजगी की खबर सामने आ रही है. अंदर-अंदर कई वरिष्ठ विधायक मंत्री नहीं बनाए जाने से दुखी व नाराज हैं. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को शानदार जीत मिली है. अकेले झामुमो के 34 विधायक हैं. ऐसे में यदि कुछ विधायक नाराज भी रहेंगे तो सरकार पर कोई फर्क पड़ने वाला नहीं है. हेमंत सोरेन ने दबाब मुक्त होकर अपनी पसंद, जातीय व सारे समीकरण को देखते हुए मंत्रियों का चयन किया गया है. फिर भी उनकी कोशिश है कि वरीय विधायकों को कहीं न कहीं समायोजित किया जाए. इसी के तहत कुर्मी जाति से आने वाले वरिष्ठ विधायक मथुरा महतो को मुख्य सचेतक बनाया गया है. आनेवाले दिनों में स्टीफन मरांडी को भी कोई पद दिया जा सकता है. पिछली सरकार में उन्हें बीस सूत्री का अध्यक्ष बनाया गया था.