रांची: कल मैंने कैबिनेट में 12 वें मंत्री को लेकर एक पोस्ट लिखा था। कहा था कि कैसे 12वां मंत्री सरकार के लिए अपशगुन साबित हो रहा है। यह भी लिखा था कि राजनीति में कुछ भी संभव है। कभी भी कुछ हो सकता है। यह बात भी सही निकली। डेढ़ महीने के लिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने घाटशिला के विधायक रामदास सोरेन को 12 वां मंत्री बनाने का फैसला लिया है। रामदास सोरेन आज शपथ लेंगे। झारखंड की राजनीति से कई इतिहास जुड़ा हुआ है। अब एक इतिहास और यह जुड़ जाएगा की रामदास सोरेन सबसे कम दिनों के लिए मंत्री बने थे। कोल्हान टाइगर के नाम से चर्चित झारखंड मुक्ति मोर्चा के कद्दावर नेता चंपई सोरेन के पार्टी छोड़ने के बाद झारखंड मुक्ति मोर्चा ने एक रणनीति के तहत रामदास सोरेन को मंत्री बनाने का फैसला लिया है। यानी डैमेज कंट्रोल की तैयारी है। सोरेन के बदले सोरेन। लोहा से लोहे को काटने की तैयारी। लेकिन दोनों सोरेन में बड़ा फर्क है। रामदास सोरेन भी पार्टी के पुराने नेता हैं। पर चंपई सोरेन के सामने उनका कद छोटा है। वह चुनाव हारते व जितते रहे हैं। चंपई जैसे लोकप्रिय नहीं है। चंपई सोरेन को यदि कोल्हान टाइगर कहा जाता है तो इसके पीछे उनका लंबा संघर्ष है। पहाड़ों, जंगलों में रहकर जिस तरह उन्होंने झारखंड आंदोलन का नेतृत्व किया था वह काबिले तारीफ है। संघर्ष की लंबी दास्तान है। टाइगर की तरह लड़ने की वजह से ही उन्हें टाइगर की उपाधि दी गई। टाइगर के सामने रामदास सोरेन कितना टिक पाएंगे यह देखना होगा? चुनाव परिणाम के बाद ही पता चलेगा की झामुमो की रणनीति कितना कारगर रही। चंपई सोरेन और रामदास सोरेन दोनों कोल्हान की राजनीति की धूरी बनेंगे। चंपई सोरेन आज भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण करेंगे और आज ही रामदास सोरेन मंत्री पद की शपथ लेंगे। चंपई सोरेन के भाजपा में शामिल होने के बाद कोल्हान की राजनीति में बदलाव की उम्मीद है। भाजपा को इससे फायदा होगा। इससे इनकार नहीं किया जा सकता है। जो लोग यह कह रहे हैं कि झारखंड मुक्ति मोर्चा छोड़कर जाने वाले कई नेताओं की दुर्गति हो गई और वह कहीं के नहीं रहे। यह बात सही है लेकिन संथाल परगना और कोल्हान प्रमंडल की राजनीतिक स्थिति अलग-अलग है। कोल्हान की राजनीति में भाजपा झामुमो से कमजोर नहीं है।लगभग सभी सीटों पर भाजपा ने जीत हासिल की है। पिछले चुनाव में भी कई सीटों पर कम वोटों से हार जीत हुई थी। चंपई सोरेन के आने के बाद यदि हर विधानसभा क्षेत्र में 5 से 10000 वोट का भी भाजपा को फायदा हुआ तो बाजी पलट जाएगी। झारखंड मुक्ति मोर्चा छोड़कर भाजपा में शामिल होने वाले कई ऐसे नेता हैं जिनको राजनीति में सफलता मिली। इनमें अर्जुन मुंडा, शैलेंद्र महतो, आभा महतो और विद्युत वरण महतो जैसे कई नाम हैं। विद्युत वरण महतो जमशेदपुर से तीसरी बार भाजपा के टिकट पर चुने गए। इसलिए यह कहना कि झामुमो छोड़ने के बाद दुर्गति हो जाती है ठीक नहीं है। चंपई सोरेन जमीन से जुड़े नेता हैं। उन्होंने काफी सोच समझकर भाजपा में शामिल होने का निर्णय लिया है। इसलिए उनके बारे में अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी। कोल्हान के चुनाव परिणाम से चंपई सोरेन का राजनीतिक कद का आकलन होगा।