Location: रांची
रांचीः झारखंड गठन के बाद 2024 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को सबसे बड़ी हार का सामना करना पड़ा है. इतनी कम सीटें इससे पहले कभी नहीं मिली थी. 2019 के चुनाव में भी भाजपा को 25 सीट मिली थी. इस बार 21 पर पहुंच गई. सत्ता में आने का सपना चूर-चर हो गया. भाजपा की लुटिया डुबाने में सहयोगी दल आजसू ने बड़ी भूमिका निभाई है. भाजपा ने आजसू को गठबंधन के तहत 10 सीट दी थी, लेकिन पार्टी सिर्फ एक सीट ही जीत सकी. मांडू में आजसू प्रत्याशी निर्मल महतो किसी तरह 231 वोट से जीत सके. सुप्रीमो सुदेश महतो सिल्ली से खुद हार गए. भाजपा व आजसू को सबसे अधिक नुकसान जयराम महतो की पार्टी झारखंड लोकतांत्रिक मोर्चा ने पहुंचाया है. एनडीए में शामिल लोजपा व जदयू ने अच्छा प्रदर्शन किया. लोजपा को एक सीट चतरा मिली थी. उसने चतरा सीट जीत ली. वहीं जदयू को दो सीट मिली थी. इसमे एक पर सफलता मिली. इन दोनों दलों का प्रदर्शन ठीक कहा जा सकता है. आजसू को सबसे अधिक नुकसान उठाना पड़ा है. इसके पीछे जयराम महतो की पार्टी रही. जयराम महतो की पार्टी ने आजसू के वजूद को खतरे में डाल दिया है. 2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने आजसू के साथ गठबंधन नहीं किया था. फिर भी भाजपा 25 सीट पर जीत हासिल की थी. आजसू को दो सीट मिली थी. तब यह कहा गया था कि भाजपा ने आजसू के साथ भाजपा ने गठबंधन नहीं किया इसलिए हार हो गई और भाजपा सत्ता से बाहर हो गई. इससे सबक लेते हुए भाजपा ने 2024 के चुनाव में न केवल आजसू से गठबंधन किया, बल्कि उसे दस सीट भी दी. फिर भी परिणाम अनुकूल नहीं रहा.भाजपा के सारे प्रयास व प्रयोग हुए विफल, चंपाई कार्ड भी रहा फेल झारखंड में भाजपा ने चुनाव जितने के लिए कई प्रयास व प्रयोग किए. लेकिन सारे विफल रहे. झामुमो के कई बड़े नेताओं को तोड़कर पार्टी में शामिल कराया. इनमें पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन, शिबू सोरेन परिवार की बड़ी बहू सीता सोरेन, लोबिन हेंब्रम, पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा, उनकी पत्नी पूर्व सांसद गीता कोड़ा, सिद्धो-कान्हू के वंशज मंडल मुर्मू, लिट्टीपाड़ा से विधायक दिनेश विलियम मरांडी,निर्दलीय विधायक अमित यादव, एनसीपी के विधायक कमलेश सिंह सहित कई नाम हैं. लेकिन कोई लाभ नहीं मिला. चंपाई सोरेन भी कुछ नहीं कर पाए. वह खुद अपनी सीट जीत सके. इनका बेटा भी घाटशिला से हार गया. चंपाई सोरेन के अपमान का मुद्दा नहीं चला. चंपाई के आने के बाद यह माना जा रहा था कि आदिवासी वोटरों का साथ भाजपा को मिलेगा. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. चंपाई कार्ड भी नहीं चला. छत्तीसगढ़, ओडिशा में बनाया आदिवासी सीएम, द्रोपदी मुर्मू बनीं राष्ट्रपति, फिर भी आदिवासियों ने नहीं दिया साथभाजपा ने झारखंड में आदिवासी वोटरों को साधने व अपने साथ करने को लेकर कई प्रयोग किए. झारखंड की राज्यपाल रहीं द्रोपदी मुर्मू को राष्ट्रपति बनाया. पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ व ओडिशा में मुख्यंत्री बनाया. धरती आबा बिरसा मुंडा को सम्मान दिया. पीएम मोदी उनके गांव गए. उनके नाम पर कई योजनाएं शुरू की. 150 वीं जयंती पर पूरे देश में जनजातीय गौरव दिवस मनाया जा रहा है. आदिवासियों के विकास के लिए झारखंड से ही पीएम मोदी ने कई योजनाएं शुरू की. चुनाव अभियान के दौरान भाजपा आदिवासी समाज के विकास के लिए किए जा रहे काम को खूब प्रचारित किया. लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ. आदिवासी वोटरों पर इन सब प्रयासों का कोई असर नहीं हुआ. अब यह साफ हो गया है कि आदिवासियों ने हेमंत सोरेन को अपना नेता मान लिया है. हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी से भी यह समाज नाराज था. उसे लगा कि हेमंत को फंसाया गया है. एक आदिवासी नेता को परेशान किया गया. चुनाव के दौरान मोदी ने चाईबासा व गुमला में सभी कर आदिवासी वोटरों को साधने की कोशिश की थी. पर कोई सफलता नहीं मिली. भाजपा ने आदिवासी नेता बाबूलाल मरांडी को प्रदेश अध्यक्ष बनाया था. सारे प्रयास किया लेकिन सब फेल हो गया. आदिवासी इलाकों में ईसाई मिशनरियों और मुस्लिम गठजोड़ ने भाजपा को हराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. हेमंत सोरेन की मुफ्त की योजनाओं ने भी बड़ा रोल अदा किया गया. इंडिया को जीत दिला दी और एनडीए देखते रह गया. लोक लुभावन घोषणा पत्र भी फेल रहा भाजपा ने चुनाव से पहले जनता का दिल जितने के लिए घोषणा पत्र जारी किया था. इसमें कई लोक लुभावन घोषणाएं की गई थी. मंइयां सम्मान के बदले गोगो दीदी योजना लांच की गई, महिलाओं के लिए एक रुपये में 50 लाख की संपत्ति का निबंधन, तीन लाख सरकारी नौकरी, 65 हजार पारा शिक्षकों को नियमित करने, 500 में गैस सिलेंडर देने, 31 सौ रुपये में क्विंटल धान की खरीद सहित कई घोषणाएं की थी. लेकिन कोई काम नहीं आया.शिवराज सिंह चौहान व हिमंता के प्रयास भी हुए विफल चुनाव से करीब तीन माह पहले भाजपा ने कद्दावर नेता व चुनाव जिताने के विशेषज्ञ माने जाने वाले मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम व केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान व असम के मुख्यमंत्री हिमंता विस्व सरमा को चुनाव प्रभारी बनाया. दोनों ने नेताओं ने खूब मेहनत की. भाजपाइयों में नई ऊर्जा का संचार किया. कई रणनीति बनाई. चुनाव का एजेंडा सेट किया. बंग्लादेशी घुसपैठ का मुद्दा उठाया. हेमंत सोरेन की विफलता को मुद्दा बनाया. बड़े नेताओं के बेटे, पत्नी, व रिश्तेदारों को टिकट दिया. दूसरे दलों में तोड़फोड़ की. सारे हथकंडे अपनाए. सोचसमझ कर टिकट दिया. लेकिन अंततः सारा प्रयास फेल हो गया. हेमंत सोरेन की सत्ता में वापसी हो गई.जयराम महतो की पार्टी से हुआ नुकसान जयराम महतो की पार्टी से भी हुआ नुकसानजयराम महतो की पार्टी झारखंड लोकतांत्रिक मोर्चा ने आजसू को भारी नुकसान पहुंचाया है. कुर्मी बहुल सीटों के साथ-साथ दूसरी सीटों पर भी मोर्चा ने भाजपा व आजसू में हराने की बड़ी भूमिका निभाई है. आजसू के सफाये के पीछे मोर्चा का बड़ा हाथ रहा. सिल्ली, इचागढ़, जुगसलाई, रामगढ़, गोमिया, बेरमो, चंदनकियारी सहित एक दर्जन से अधिक सीटों पर आजसू भाजपा की हार जयराम महतो के कारण हुई है. मोर्चा की वजह से इंडी गठबंधन को लाभ हुआ है.