Location: रांची
रांची : आजसू अध्यक्ष सुदेश महतो मंगलवार की शाम अचानक दिल्ली चले गए। उनके दिल्ली रवाना होने की खबर मिलते ही भाजपा और आजसू खेमा में चर्चा गर्म हो गई। सुदेश महतो दिल्ली में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, झारखंड चुनाव के प्रभारी शिवराज सिंह चौहान सहित अन्य नेताओं से मुलाकात कर भाजपा के साथ विधानसभा चुनाव में गठबंधन पर चर्चा करेंगे।
भाजपा के साथ गठबंधन में आजसू को 6 या 7 सीट दिए जाने की खबर फैलते ही सुदेश महतो अचानक सक्रिय हो गए। सुदेश महतो भाजपा से अधिक सीट चाहते हैं। लेकिन भाजपा 6-7 सीटों से अधिक देने को तैयार नहीं दिख रही है। 2019 के विधानसभा चुनाव में आजसू द्वारा कम से कम 16 सीट की मांग की गई थी। भाजपा इसके लिए तैयार नहीं हुई और अंत में गठबंधन टूट गया था। दोनों पार्टी अलग-अलग चुनाव लड़ी। जिसका नुकसान दोनों को हुआ और भाजपा सत्ता से दूर हो गई।
सत्ता से बेदखल होने के बाद दोनों पार्टियों में बाद में फिर गठबंधन हो गया। लोकसभा चुनाव में भी भाजपा ने गठबंधन के तहत आजसू को गिरिडीह सीट दी थी। विधानसभा चुनाव में भाजपा आजसू के लिए रामगढ़, बड़कागांव गोमिया, डुमरी, सिली और तमाड़ सीट छोड़ने पर सहमत है। आजसू इस बार इचागढ़ से भी चुनाव लड़ना चाहती है। और वहां के लिए प्रत्याशी की घोषणा भी कर दी है। भाजपा किसी हाल में इचागढ़ की सीट छोड़ना नहीं चाहती है। क्योंकि यहां भाजपा मजबूत स्थिति में है। 2014 के चुनाव में यह सीट भाजपा के पास थी।
इस बार के लोकसभा चुनाव में भी ईचागढ़ विधानसभा क्षेत्र से रांची से भाजपा प्रत्याशी संजय सेठ को 50000 से अधिक मतों की बढ़त मिली है। इसलिए भाजपा इस सीट को अपने लिए मजबूत मानती है। आजसू शुरू द्वारा प्रत्याशित घोषित किए जाने पर भाजपा ने नाराजी जाहिर की है। इसकी शिकायत अमित शाह से भी की गई है। बिना गठबंधन हुए प्रत्याशी की घोषणा से भाजपा नाराज है।
इधर मंगलवार को जैसे ही सुदेश महतो को यह खबर मिली की आजसू को भाजपा 6 या 7 सीट ही देने वाली है तो वह सक्रिय हो गए। केंद्रीय नेताओं से मुलाकात के लिए तुरंत दिल्ली चले गए। वह गठबंधन और सीटों पर भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के साथ बात करेंगे। आजसू इच्छा एक दर्जन से अधिक सीटों पर लड़ने की है। लोहरदगा पर भी मामला फंस सकता है। आजसू
का दावा लोहरदगा पर भी है। लेकिन भाजपा सीट छोड़ने को तैयार नहीं है। जमशेदपुर की जुगसलाई पर भी आजसू का मजबूत दावा है क्योंकि यह सीट आजसू जीत चुकी है।
भाजपा के साथ सीटों के बंटवारे में इस बार फिर परेशानी आने वाली है। दोनों दलों में टकराव की उम्मीद है। हालांकि यह भी सत्य है कि इस बार हर हाल में दोनों दल मिलकर लड़ेंगे नहीं तो इंडिया गठबंधन को चुनौती नहीं मिल पाएगा। इधर जयराम महतो की पार्टी उभार से आजसू की परेशानी बढ़ गई है। क्योंकि कुर्मी वोटों में लोकसभा चुनाव में भारी बिखराव देखा गया।कुर्मियों का अधिकांश वोट जयराम महतो की ओर चला गया। दिल्ली में सुदेश महतो की क्या बातचीत होती है इस पर सब की नज़रें टिकी हुई हैं